#NewsBytesExplainer: बांग्लादेश में हिंसा भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?
क्या है खबर?
कट्टरपंथी युवा छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में नए सिरे से हिंसा भकड़ उठी है। हादी भारत के मुखर आलोचक थे इसीलिए उनकी हत्या में भारत का नाम भी जोड़ा जा रहा है। हालिया प्रदर्शनों में भारतीय सहायक उच्चयोगों को निशाना बनाया गया है और जमकर भारत विरोधी नारेबाजी हुई है। ये सब बांग्लादेश में आम चुनाव के ऐलान के ठीक बाद हुआ है। आइए जानते हैं भारत के लिए क्यों ये चिंता की बात है।
हत्या
हादी की हत्या में क्यों आ रहा है भारत का नाम?
12 दिसंबर को चुनाव प्रचार के दौरान हादी को 2 नकाबपोश बदमाशों ने गोली मार दी थी। सिंगापुर में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, घटना की जांच कर रही बांग्लादेश पुलिस ने कहा कि दोनों बदमाशों की पहचान कर ली गई है और पुलिस का मानना है कि वे सीमा पार कर भारत भाग गए हैं। इसके बाद देशभर में भारत विरोधी प्रदर्शन भड़क उठे।
हमले
भारतीय सहयोग उच्चायोग के सामने हुए प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने राजशाही और चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के सामने प्रदर्शन किया और हमले की कोशिश की। राजशाही में भारतीय सहायक उच्चायोग के सामने पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प भी हुई। इसी तरह चटगांव में हुई झड़प में भी 2 पुलिसकर्मियों समेत 4 लोग घायल हो गए। यहां प्रदर्शनकारियों ने उच्चायोग परिसर में ईंटें फेंकीं और तोड़फोड़ भी की। हादी की मौत से पहले भी प्रदर्शनकारियों ने ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन किया था।
भावनाएं
बांग्लादेश में क्यों भड़की भारत विरोधी भावनाएं?
दरअसल, पिछले साल हुए छात्र आंदोलन के बाद बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी। उन्हें भारत ने शरण दे रखी है, जिसके चलते दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं। बांग्लादेश ने कई बार भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। वहीं, तात्कालिक कारण हादी के हमलावरों के भारत भाग जाने का दावा है। इससे उनके समर्थकों में आक्रोश पैदा हो गया है।
चुनाव
क्या चुनाव टालना चाहती है सरकार?
बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को आम चुनाव होना है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार लगातार चुनाव की घोषणाओं में टालमटोली करती रही है। इसे लेकर छात्र नेता और राजनीतिक पार्टियां नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं। न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि बिगड़ती कानून व्यवस्था का इस्तेमाल चुनावों को टालने के बहाने के रूप में किया जा सकता है, ताकि चुनावों में देरी हो और कट्टरपंथी तत्वों को समर्थन जुटाने का समय मिल सके।
चीन
चीन और बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकी
बांग्लादेश में चीन की बढ़ती उपस्थिति भी भारत के लिए चिंता का विषय है। अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस की चीन से नजदीकी किसी से छिपी नहीं है। यूनुस ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) से लगभग 135 किलोमीटर दूर लालमोनिरहाट एयरबेस को चीनी साझेदारी से फिर से शुरू करने की इच्छा जताई है। भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर ये इलाका अहम है। यहां चीन की संभावित मौजूदगी ने भारत को चिंतित कर दिया है।
समिति
संसदीय समिति ने हालात को 1971 के बाद सबसे बड़ी चुनौती बताया
विदेश मामलों की संसदीय समिति ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को भारत के लिए 1971 के बाद की सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया है। समिति ने कहा कि बांग्लादेश में हालात अराजक होने की आशंका कम है, लेकिन भारत को इसे सावधानी से संभालना होगा। अगर सही कदम नहीं उठाए, तो भारत रणनीतिक स्थिति खो सकता है। समिति ने हालात के पीछे इस्लामी कट्टरपंथियों के उभार, चीन-पाकिस्तान का बढ़ता प्रभाव और अवामी लीग की राजनीतिक पकड़ कमजोर होना बताया है।
सतर्क
भारत को क्यों सतर्क रहने की जरूरत?
बांग्लादेश की चीन और पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी। हालिया समय में बांग्लादेश-पाकिस्तान में सैन्य स्तर के दौरे बढ़े हैं। चीन और बांग्लादेश में भी कई समझौते हुए हैं। कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी का बढ़ता प्रभाव। भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर और सीमावर्ती राज्यों को लेकर बांग्लादेश के अराजक तत्वों की बयानबाजी। खुद यूनुस ने एक बयान में बांग्लादेश को इस क्षेत्र के लिए समुद्र का एकमात्र संरक्षक बताया था, क्योंकि पूर्वोत्तर भारत भूमि से घिरा हुआ है।