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अमेरिका के अतिरिक्त टैरिफ से क्या होगा असर और भारत के पास अब क्या-क्या विकल्प हैं?
अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की अधिसूचना जारी कर दी है

अमेरिका के अतिरिक्त टैरिफ से क्या होगा असर और भारत के पास अब क्या-क्या विकल्प हैं?

Aug 26, 2025
11:53 am

क्या है खबर?

अमेरिका ने मंगलवार को भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने को लेकर को सार्वजनिक अधिसूचना जारी कर दी है। नए शुल्क 27 अगस्त की रात 12:01 बजे से लागू होंगे। अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा (CBP) के जरिए होमलैंड सुरक्षा विभाग ने यह नोटिस जारी किया है। इससे अब अमेरिका जाने वाले भारतीय सामानों पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगेगा। आइए जानते हैं कि अमेरिका के इस कदम के बाद भारत के पास क्या-क्या विकल्प हैं।

अधिसूचना

अधिसूचना में क्या कहा गया है?

होमलैंड सुरक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ अमेरिकी समयानुसार 27 अगस्त की रात 12:01 बजे से लागू होगा। यह शुल्क राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 6 अगस्त को हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश को लागू करेगा। इस अधिसूचना से अमेरिका ने साफ किया गया है कि यह कदम भारत पर रूस से तेल की भारी खरीदारी के जवाब में लगाया गया है। इससे पहले ट्रंप ने 1 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था।

प्रभाव

बढ़े हुए टैरिफ का भारत पर क्या पड़ेगा असर?

बता दें कि फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और ऊर्जा संसाधनों जैसे कुछ सेक्टर्स को इस टैरिफ से छूट मिली है, लेकिन टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, चमड़ा, मरीन प्रोडक्ट्स, केमिकल और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्र बेहद प्रभावित होंगे। भारत का अमेरिका को निर्यात करीब 87 अरब डॉलर (7.56 लाख करोड़ रुपये) का है, जो भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2.5 प्रतिशत है। ऐसे में बढ़े टैरिफ से GDP पर होने वाले असर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

घाटा

व्यापार घाटा बढ़ने के साथ इस समझौते पर भी पड़ेगा असर 

भारत का अमेरिका के साथ व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2024-25 में 45.8 अरब डॉलर (लगभग 3.98 लाख करोड़ रुपये) था और 50 प्रतिशत टैरिफ लगने से इसके बढ़ने की संभावना रहेगी। इस टैरिफ से दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता भी अटक सकता है क्योंकि ट्रंप भारत से अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने और टैरिफ कम करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, भारत किसानों के हित के कारण मानने को तैयार नहीं है।

विकल्प

भारत के पास है नए बाजारों की तलाश करने का विकल्प

अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से भारत को वहां निर्यात करना मुश्किल हो गया है। अब भारत अमेरिकी बाजार के नए विकल्पों की तलाश शुरू कर सकता है, जिसमें यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका जैसे देशों से अपना निर्यात बढ़ाकर व्यापार बढ़ाने की कोशिश शामिल है। इस कदम से अमेरिका पर भारत निर्भरता तो कम होगी ही, बल्कि टैरिफ के असर को भी कम करने में मदद मिलेगा। चीन भी अब लगातार भारत पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

रणनीति

रूस से साथ नई व्यापार रणनीति पर काम कर सकता है भारत

अमेरिका के कदम के बीच रूस लगातार भारत को भारतीय सामानों के लिए अपना बाजार खुला रखने का भरोसा दिला रहा है। ऐसे में भारत अब रूस के साथ बातचीत आगे बढ़ा सकता है। इससे रुपये-रूबल भुगतान प्रणाली को मजबूत होगी, जो अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने में मददगार होगी। भारत वेनेजुएला या अफ्रीका जैसे दूसरे देशों से तेल आयात के नए स्रोत तलाश कर सकता है, हालांकि इससे बढ़ने वाली लॉजिस्टिक्स लागत चुनौती पेश कर सकती है।

जानकारी

घरेलू उत्पादन बढ़ाकर भी राहत पा सकता है भारत

भारत को वेनेजुएला और अफ्रीका देशों से तेल आयात करने पर होने वाली लॉजिस्टिक्स लागत की चुनौती से निपटने के लिए घरेलू तेल और गैस का उत्पादन बढ़ाकर भी राहत पा सकता है। हालांकि, इसके लिए ठोस योजनाओं की जरूरत होगी।

कार्रवाई

चीन की तरह जवाबी कार्रवाई का कदम उठाना

भारत के पास अमेरिका के इस कदम का एक अन्य विकल्प चीन की तरह जवाबी टैरिफ लगाकर जवाबी कार्रवाई करने का भी है। इसके लिए भारत को उन उत्पादों की सूची बनानी होगी, जिनकी अमेरिका में ज्यादा मांग है। इससे पहले भी भारत साल 2019 में अमेरिकी बादाम, सेब, और स्टील पर अतिरिक्त टैरिफ लगा चुका है। हालांकि, अमेरिकी बाजारों में भारत का चीन जैसा दबदबा नहीं है। चीन की अमेरिकी आवश्यकता वाले दुर्लभ खनिजों पर मजबूत पकड़ है।

सब्सिडी

घरेलू उद्योगों को सब्सिडी देकर भी राहत पा सकता है भारत

अमेरिका की ओर से लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से भारत में पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए एक बड़ा और राहत देते वाला विकल्प घरेलू उद्योगों को सब्सिडी देना भी साबित हो सकता है। अमेरिका के टैरिफ से प्रभावित भारत अपने टेक्सटाइल, IT समेत अन्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी या प्रोत्साहन योजना लागू कर सकता है। इससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी टैरिफ का असर कम हो जाएगा।