
तालिबान के विदेश मंत्री भारत आए, बैठक के दौरान झंडे को लेकर क्यों परेशान हैं अधिकारी?
क्या है खबर?
अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत यात्रा पर हैं। अगस्त, 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद किसी मंत्री की ये पहली भारत यात्रा है। विदेश मंत्रालय ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि वो मुत्तकी के साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए उत्सुक है। हालांकि, मुत्तकी की यात्रा के दौरान झंडे को लेकर भारत के सामने कूटनीतिक समस्या पैदा हो गई है। आइए पूरा मामला समझते हैं।
समस्या
झंडे को लेकर क्या है समस्या?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुत्तकी 10 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलेंगे। अधिकारी परेशान है कि इस बैठक के दौरान पीछे कौन सा झंडा लगेगा? दरअसल, भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है। यही वजह है कि भारत ने तालिबान को अफगान दूतावास में अपना झंडा फहराने की अनुमति नहीं दी है। दूतावास में फिलहाल इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का झंडा फहराया जाता है।
नियम
क्या कहता है प्रोटोकॉल?
कूटनीतिक प्रोटोकॉल के अनुसार, जब 2 देशों के मंत्रियों या नेताओं के बीच आधिकारिक बैठक होती है, तो दोनों देशों का झंडा या तो पीछे रखा जाता है या मेज पर रखा होता है। चूंकि, भारत ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है, इसलिए तालिबान का झंडा नहीं रखा जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक से पहले भारतीय अधिकारी इस मुश्किल स्थिति से निपटने के तरीके पर विचार कर रहे हैं।
पिछले मामले
पिछली बैठकों में झंडे को लेकर क्या हुआ था?
इससे पहले काबुल में भारतीय अधिकारियों और मुत्तकी के बीच भी बैठक हुई थी। तब भी झंडे का मामला सामने आया था। जनवरी में दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मुत्तकी के साथ बैठक की थी। तब न तो भारत और न ही तालिबान का झंडा मेज पर रखा गया था। हालांकि, ये मुलाकात दुबई में हुई थी, लेकिन अब जो बैठक होने जा रही है, वो दिल्ली में होगी। इस वजह से ये बड़ी कूटनीतिक चुनौती है।
अहमियत
कितना अहम है मुत्तकी का भारत दौरा?
मुत्तकी का दौरा भारत-तालिबान संबंधों में नई शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। आतंकवाद और अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं में भारतीय निवेश को देखते हुए दौरा अहम है। ये यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब पाकिस्तान और तालिबान के संबंध बिगड़े हैं। ऐस में ये यात्रा तालिबान द्वारा पाकिस्तान को संदेश के तौर पर देखी जा रही है। चीन का अफगानिस्तान में बढ़ते निवेश की पृष्ठभूमि में भी दौरा अहम माना जा रहा है।
दौरा
कैसा रहेगा मुत्तकी का भारत दौरा?
मुत्तकी एक हफ्ते के लिए भारत आए हैं। 10 अक्टूबर को वे विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बैठक कर सकते हैं। 11 अक्टूबर को मुत्तकी सहारनपुर के प्रसिद्ध दारुल उलूम देवबंद मदरसे जाएंगे। अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को वे आगरा में ताजमहल का दीदार करेंगे। इसी दिन वे दिल्ली में उद्योग और व्यापार प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में शामिल होंगे। वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से भी मुलाकात कर सकते हैं।