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#NewsBytesExplainer: अफगानिस्तानी विदेश मंत्री का भारत दौरा कितना अहम, तालिबान से नजदीकी क्यों बढ़ा रहा भारत?
भारतीय विदेश सचिव के साथ अफगानिस्तान के विदेश मंत्री (फाइल तस्वीर)

#NewsBytesExplainer: अफगानिस्तानी विदेश मंत्री का भारत दौरा कितना अहम, तालिबान से नजदीकी क्यों बढ़ा रहा भारत?

लेखन आबिद खान
Oct 03, 2025
10:43 am

क्या है खबर?

एक बड़े और ऐतिहासिक घटनाक्रम में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत दौरे पर आ रहे हैं।2021 में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद ये किसी भी नेता की पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। वे 10 अक्टूबर को भारत आ सकते हैं और विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई लोगों से मिलेंगे। इस यात्रा को भारत-तालिबान संबंधों में नए अध्याय के तौर पर देखा जा रहा है। आइए इसकी अहमियत समझते हैं।

दौरा

कैसा रहेगा मुत्तकी का दौरा?

रिपोर्ट के मुताबिक, मुत्तकी 10 अक्टूबर को भारत आ सकते हैं। उनका विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात का कार्यक्रम तय है। इसके अलावा वे कुछ और लोगों से भी मिल सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने मुत्तकी को 9 से 16 अक्टूबर तक भारत यात्रा करने की अनुमति दे दी है। दरअसल, मुत्तकी का नाम UNSC प्रस्ताव 1988 (तालिबान प्रतिबंध सूची) में शामिल है। ऐसे में विदेश जाने के लिए उन्हें UNSC से अनुमति लेनी होती है।

भारत

भारत यात्रा से क्या हासिल करना चाहता है?

भारत की सबसे बड़ी चिंता आतंकवाद को लेकर है। भारत सुनिश्चित करना चाहता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग भारत के विरुद्ध हमले करने या उनका समर्थन करने के लिए न किया जाए। इसके अलावा भारत अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं में किए गए निवेश को सुरक्षित करना चाहता है। मध्य एशिया तक भूमि मार्गों के जरिए पहुंच के लिए भी अफगानिस्तान अहम है। जानकार कहते हैं कि भारत तालिबान को मान्यता दिए बिना संबंध बनाकर व्यावहारिक दृष्टिकोण अपना रहा है।

कूटनीति

वैश्विक घटनाक्रमों के लिहाज से भी अहम है दौरा

कूटनीति और वैश्विक घटनाओं की पृष्ठभूमि में भी यह यात्रा अहम है। फिलहाल तालिबान और पाकिस्तान सरकार के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। चीन अफगानिस्तान में खनिज खनन और अन्य विकास परियोजनाओं में निवेश कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम अड्डे पर कब्जा करने को लेकर तालिबान को चेतावनी दे दी है। रूस के तालिबान से बेहतर संबंध हैं ही। इन सब घटनाओं के आसपास दौरे का कूटनीतिक महत्व भी है।

पाकिस्तान

यात्रा का पाकिस्तान कनेक्शन भी है

इस यात्रा को पाकिस्तान के लिए भी झटके के तौर पर देखा जा रहा है। इस साल 80,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को पाकिस्तान ने वापस भेज दिया था। इससे तालिबान और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव आया है। जानकारों का कहना है कि नई दिल्ली में मुत्तकी की मौजूदगी काबुल की अपने विदेशी संबंधों में विविधता लाने और पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने की इच्छा का संकेत देती है।

निवेश

भारत के अफगानिस्तान में अहम निवेश 

भारत ने तालिबान के आने से पहले अफगानिस्तान में कई पुनर्निर्माण से जुड़ी योजनाओं में लगभग 3 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था। अफगानिस्तान की नई संसद को भारत ने बनाया है। इसके अलावा कई बांधों और सड़कों का निर्माण भी कराया है। अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका को तालिबान भी स्वीकार करता है। ऐसे में भारत अपने सालों के निवेश और पैसे को खोना नहीं चाहता है।

संबंध

भारत ने तालिबान के साथ कैसे विकसित किए हैं संबंध?

31 अगस्त, 2021 को कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के दोहा कार्यालय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। जून, 2022 में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और ईरान) जेपी सिंह ने तालिबानी नेताओं से मुलाकात की थी। इसी साल जनवरी में दुबई में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मुत्तकी से मुलाकात की थी। मई में विदेश मंत्री जयशंकर ने मुत्तकी से फोन पर बात की थी।