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सुप्रीम कोर्ट का वक्फ संशोधन अधिनियम को निलंबित करने से इनकार, कुछ प्रावधानों पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम को निलंबित करने से इनकार कर दिया है

सुप्रीम कोर्ट का वक्फ संशोधन अधिनियम को निलंबित करने से इनकार, कुछ प्रावधानों पर लगाई रोक

Sep 15, 2025
11:15 am

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 सितंबर) को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अधिनियम को पूरी तरह से निलंबित करने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि इस तरह के व्यापक आदेश के लिए कोई मामला नहीं बनाया गया है। हालांकि, कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर अंतरिम संरक्षण की आवश्यकता बताते हुए रोक लगा दी। आइए जानते हैं कोर्ट ने क्या कुछ कहा।

टिप्पणी

कोर्ट ने मामले पर क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हमने पाया है कि पूरे अधिनियम को चुनौती दी गई है, लेकिन मूल चुनौती धारा 3 (R), 3 (C) और 14 को थी। हमने 1923 के अधिनियम से विधायी इतिहास का अध्ययन किया है और प्रत्येक धारा के लिए प्रथम दृष्टया चुनौती पर विचार किया है। ऐसे में पूरे अधिनियम को निलंबित नहीं किया जा सकता, लेकिन चुनौती वाली धाराओं पर हमने स्थगन आदेश दे दिया है।"

रोक

कोर्ट ने 5 साल इस्लाम का पालन करने की बाध्यता पर लगाई रोक

कोर्ट ने अधिनियम में शामिल उस प्रावधान पर रोक लगा दी, जिसमें किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करना अनिवार्य बनाया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा जब तक यह तय करने के लिए नियम नहीं बन जाते कि कोई व्यक्ति इस्लाम का पालन करता है या नहीं। बता दें कि अधिनियम के इसी प्रावधान पर मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दलों ने विरोध किया था।

अधिकार

कलक्टर को दिए गए अधिकार पर भी लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम के उस प्रावधान पर भी रोक लगाई है जिसमें सभी जिला कलक्टरों को यह निर्धारित करने का अधिकार दिया गया था कि वक्फ घोषित की गई संपत्ति सरकारी संपत्ति है या नहीं और वह इस संबंध में आदेश पारित कर सकता था। कोर्ट ने कहा कि कलक्टर को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों पर निर्णय देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह प्रावधान शक्तियों के पृथक्करण के नियम का पूरी तरह उल्लंघन करता है।

सदस्य

कोर्ट वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर क्या कहा?

CJI की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए और फिलहाल वक्फ परिषदों में कुल मिलाकर 4 से अधिक गैर-मुस्लिमों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। इसी तरह कोर्ट ने वक्फ के पंजीयन के मामले में भी समय सीमा को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। हालांकि, कोर्ट ने इस प्रावधान पर अभी रोक नहीं लगाई है। कोर्ट का यह फैसला काफी संतुलित माना जा रहा है।

सुरक्षित

कोर्ट ने 22 मई को सुरक्षित रख लिया था फैसला

कोर्ट में यह सुनवाई 22 मई को पीठ द्वारा दोनों पक्षों की लगातार तीन दिनों तक चली बहस के बाद अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रखने के बाद हुई है। दायर याचिकाओं में इस साल की शुरुआत में संसद द्वारा पारित संशोधनों के माध्यम से वक्फ कानून में किए गए बदलावों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ये संशोधन मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं को निशाना बनाते हैं और उनके अधिकार का उल्लंघन करते हैं।

कानून

वक्फ अधिनियम को लेकर कब-क्या हुआ?

वक्फ विधेयक 3 अप्रैल को भारी हंगामे के बीच लोकसभा और 4 अप्रैल को राज्यसभा से पारित हुआ था। उसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को विधेयक को मंजूरी दे दी और 8 अप्रैल को सरकार ने इसे लागू कर दिया। राजनीतिक पार्टियों और मुस्लिम संगठनों समेत कई लोगों ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर CJI गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने सुनवाई शुरू की थी।

प्रावधान

वक्फ कानून में क्या किए गए थे बड़े प्रावधान?

वक्फ संशोधन अधिनियम में वक्फ बोर्ड में 2 महिला और 2 गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल करने, वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए सर्वे कमिश्नर की जगह जिला कलक्टरों को अधिकृत करने, वक्फ ट्रिब्यूनल को फैसले को कोर्ट में चुनौती दिए जा सकने और कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहे मुसलमानों के ही संपत्ति दान कर सकने के प्रमुख प्रावधान किए थे। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने 3 प्रावधानों पर रोक लगा दी है।