केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई को तैयार सुप्रीम कोर्ट, चुनावों का दिया हवाला
दिल्ली शराब नीति मामले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी और रिमांड पर समय लगेगा तो हम चुनावों को देखते हुए अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई पर विचार कर सकते हैं कोर्ट ने कहा कि वो अंतरिम जमानत याचिका पर 7 मई को सुनवाई करेगा।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा, "इस मामले में समय लग सकता है। अगर समय लगता है तो हम चुनावों के चलते अंतरिम जमानत पर विचार कर सकते हैं। हम इस पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भी सुनवाई कर सकते हैं। आप हमें बताएं कि अगर हम अंतरिम जमानत देते हैं तो क्या शर्तें लगाई जाएंगी। हमें अंतरिम जमानत देने या न देने पर अभी फैसला करना है। हम मंगलवार (7 मई) को सुबह 10:30 बजे सुनवाई करेंगे।"
सुनवाई के दौरान केजरीवाल ने क्या तर्क दिए?
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "16 मार्च तक केजरीवाल आरोपी नहीं थे। अचानक इसमें क्या बदलाव हुआ कि 21 मार्च को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया? जिन सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी हुई, वे सभी दिसंबर, 2023 से पहले के हैं। हर सबूत जुलाई, 2023 का है। मनीष सिसोदिया के मामले में भी यही सबूत इस्तेमाल किए गए थे। बाकी आरोपियों ने पहले कुछ नहीं कहा फिर अचानक उनके बयान आए।"
केजरीवाल ने ED पर लगाए थे गंभीर आरोप
इससे पहले अपने हलफनामे में केजरीवाल ने ED पर गंभीर आरोप लगाए थे। केजरीवाल ने कहा था, "मनी लॉन्ड्रिंग मामला एक 'क्लासिक केस' है कि कैसे सत्तारूढ़ पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अपने सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को कुचलने के लिए ED और उसकी व्यापक शक्तियों का दुरुपयोग किया है।" केजरीवाल ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और संघवाद पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर हमला है।
21 मार्च को गिरफ्तार किए गए थे केजरीवाल
ED ने कथित शराब नीति घोटाले में 21 मार्च को केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार किया था। पहले 11 दिन वह ED की हिरासत में रहे और 1 अप्रैल को कोर्ट ने उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया। अभी वह 7 मई तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (APP) गिरफ्तारी को लोकसभा चुनाव से जोड़ा है। उनका कहना है कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की भावना के खिलाफ है।