
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने खाली नहीं किया सरकारी बंगला, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लिखी चिट्ठी
क्या है खबर?
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी सेवानिवृत्ति के 8 महीने बाद भी दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली नहीं किया है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को पत्र लिख कर चंद्रचूड़ से आवास खाली करवाने को कहा है। चिट्ठी में कहा गया है कि चंद्रचूड़ नियम विरुद्ध सरकारी बंगले का इस्तेमाल कर रहे हैं, इससे नए जजों को आवास आवंटित करने में परेशानी हो रही है।
पत्र
पत्र में अनुरोध- पूर्व CJI से तत्काल बंगला खाली कराया जाए
पत्र में लिखा है, "आपसे आग्रह किया जाता है कि कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 5 आदरणीय चंद्रचूड़ जी से बिना किसी देरी के खाली करवाया जाए। 2022 के नियम 3B के अनुसार, उन्हें अतिरिक्त 6 महीने तक बंगले में रहने की अनुमति थी। यह अवधि 10 मई को खत्म हो गई थी। उन्हें 31 मई तक अतिरिक्त इजाजत दी गई थी। ऐसे में पूर्व CJI से तत्काल बंगला खाली करवाया जाए।"
अनुरोध
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने कहा- चंद्रचूड़ का कदम नियम विरुद्ध
पत्र में कहा गया है कि चंद्रचूड़ को नियमों के तहत 7वीं श्रेणी का बंगला आवंटित किया गया है, लेकिन वे 8वीं श्रेणी के बंगले में रह रहे हैं, जिसकी अनुमति सिर्फ वर्तमान CJI को होती है। नियम 3B के अनुसार, कोई भी सेवानिवृत्त CJI प्रतीकात्मक लाइसेंस फीस देकर केवल 6 माह तक 7वीं श्रेणी का आवास रख सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय से कहा है कि अब और विस्तार नहीं हो सकता, इसलिए बंगला वापस लिया जाए।
चंद्रचूड़ का पक्ष
बंगला खाली न करने पर जस्टिस चंद्रचूड़ का क्या कहना है?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "मुझे सरकार द्वारा किराए पर नया आवास आवंटित किया जा चुका है, लेकिन वो 2 सालों से बंद था, इसलिए नवीनीकरण किया जा रहा है। मैंने सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में सूचित किया है और काम पूरा होते ही शिफ्ट हो जाऊंगा।" पूर्व CJI ने ये भी कहा कि उनकी दोनों बेटियां गंभीर जेनेटिक बीमारी से जूझ रही हैं, जिन्हें विशेष देखभाल की जरूरत है। इस वजह से भी घर ढूंढ़ने में देरी हुई है।
परिचय
10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे जस्टिस चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर, 2022 को 51वें CJI नियुक्त हुए थे। उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी CJI रह चुके हैं। बतौर CJI, चंद्रचूड़ ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया, व्याभिचार को अपराध बताने वाली धारा को खत्म किया, चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द किया और राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 10 नवंबर, 2024 को लोगों से माफी मांगते हुए वे इस पद से सेवानिवृत्त हो गए थे।