अनुच्छेद 370: कश्मीर में आतंकी वारदातों और पत्थरबाजी की घटनाओं में कितनी कमी आई?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को सही ठहराया। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि अनुच्छेद 370 के खत्म होने से घाटी में आतंकवाद के अंत का रास्ता साफ हो गया है और पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है। आइए जानते है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी और आतंकवादी घटनाओं में कितनी कमी आई है।
पत्थरबाजी की घटनाओं में आई कितनी कमी?
पिछले हफ्ते लोकसभा में अमित शाह ने बताया था कि 2010 में जम्मू-कश्मीर में पथराव की 2,654 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई। 2010 में पथराव में 112 नागरिकों की मौत हुई थी, जबकि 2023 में एक भी मौत नहीं हुई। 2010 में पथराव में 6,235 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। 2023 में कोई घायल नहीं हुआ। शाह के अनुसार, 2010 में 132 संगठित हड़तालें हुईं, जबकि 2023 में एक भी हड़ताल नहीं हुई।
2010 के अलावा किन-किन सालों में हुई सबसे ज्यादा पत्थरबाजी?
2010 के बाद पत्थरबाजी की सबसे अधिक घटनाएं 2016 और 2019 में हुईं। गृह मंत्रालय (MHA) के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद पत्थरबाजी की 2,653 घटनाएं हुईं । इस दौरान घाटी में विरोध-प्रदर्शन चरम पर था। इसी तरह जनवरी से जुलाई, 2019 के बीच कश्मीर घाटी में पथराव की 618 घटनाएं दर्ज की गईं। इसी अवधि में 2020 में सिर्फ 222 और 2021 में 76 घटनाएं हुईं।
आतंकी घटनाओं में कितनी कमी आई?
शाह के अनुसार, 2004-2014 और 2014-2023 की अवधि के बीच जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में 70 प्रतिशत, नागरिकों की मौत में 72 प्रतिशत और सुरक्षा बलों की मौत में 59 प्रतिशत की गिरावट आई। लोकसभा में चर्चा के दौरान शाह ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर में 1994 से 2004 के बीच 40,164 और 2004 से 2014 के बीच 7,217 आतंकी घटनाएं हुई थीं। इसके विपरीत 2014 से 2023 के मोदी सरकार के कार्यकाल में करीब 2,000 आतंकी घटनाएं हुईं।
आतंकी और पत्थरबाजी की घटनाओं में कैसे आई कमी?
कश्मीर में सुरक्षा बलों की वृद्धि और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसी केंद्रीय एजेंसियों के सख्त कदमों और कार्रवाई के कारण ही घाटी में पथराव और आतंकवादी घटनाओं में कमी देखी गई है। गिरावट के पीछे संभावित मामलों में से एक यह है कि सरकार ने पथराव के आरोपियों को उत्तर प्रदेश की जेलों में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। शाह ने बताया कि सरकार ने घाटी में आतंकी फंडिंग के सिस्टम को खत्म करने की कोशिश की है।
कैसे कश्मीर में सामान्य हो रही स्थिति?
अनुच्छेद 370 निरस्त होने के 4 साल बाद स्वतंत्रता दिवस पर श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में स्वतंत्र रूप से झंडा फहराने का समारोह आयोजित हुआ। श्रीनगर में इस साल की शुरुआत में G-20 देशों की कार्य समूह बैठक भी हुई। गृह मंत्री ने बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद 2 करोड़ पर्यटकों ने कश्मीर का दौरा किया और 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग हुई। इसके अलावा 3 थिएटर खोले गए और 18 अन्य खुलने वाले हैं।