नए आपराधिक विधेयकों में आतंकवाद की परिभाषा और महिलाओं पर क्रूरता को लेकर बड़े बदलाव, जानें
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने नए आपराधिक कानून विधेयकों में 'आतंकवादी कृत्य' की कानूनी परिभाषा को विस्तार दिया है। अब नकली नोट चलाना और सरकार को धमकाने के लिए किसा का अपहरण करना, घायल करना या उसकी मौत का कारण बनना भी अब आतंकवादी कृत्य माना जाएगा।
इसके अलावा इनमें महिलाओं के खिलाफ क्रूरता को पुन: परिभाषित किया गया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को इन 3 विधेयकों को नए सिरे से लोकसभा में पेश किया।
बदलाव
क्रूरता को लेकर क्या बदलाव किया गया?
नए भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 की धारा 86 में "क्रूरता" को परिभाषित किया गया है और महिला के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने को भी क्रूरता माना जाएगा।
नई परिभाषा के तहत कोई भी जानबूझकर किया गया आचरण, जो ऐसी प्रकृति का हो जिससे महिला को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित किया जा सके, या गंभीर चोट पहुंचाई जा सके, या उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्य (चाहे मानसिक या शारीरिक) को खतरा हो, वो अपराध माना जाएगा।
पिछला विधेयक
पिछले विधेयक में परिभाषित नहीं थी क्रूरता
भारतीय न्याय संहिता विधेयक के पिछले संस्करण में धारा 85 में पति या उसके परिवार के सदस्यों को अपनी पत्नी के साथ क्रूर व्यवहार करने का दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान था, लेकिन इसमें क्रूरता परिभाषित नहीं थी।
इसके अलावा नए विधेयक में यौन उत्पीड़न की पीड़िता की अनुमति के बिना अदालती कार्यवाही में उसकी पहचान उजागर करने पर 2 साल की जेल की सजा का प्रावधान भी किया गया है।
पेश
अमित शाह ने कल वापस लिए थे पुराने विधेयक
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए लाए गए 3 विधेयकों को वापस ले लिया था। संसदीय समिति की सिफारिश के बाद इनमें बदलाव किया गया और अब इन्हें दोबारा पेश किया गया।
बता दें कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेगा, वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 आपराधिक प्रक्रिया संहिता अधिनियम (CrPC) की और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगा।
आपराधिक कानून
अगस्त में पेश हुए थे नए आपराधिक कानूनों पर विधेयक
इससे पहले शाह ने 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में 3 नए आपराधिक कानून विधेयक पेश किए थे और कहा था कि इन विधेयकों का मकसद सजा नहीं, बल्कि न्याय दिलाना है।
उन्होंने कहा था, "ब्रिटिशकालीन कानूनों में प्रशासन की रक्षा और दंड देने विचार पर ध्यान केंद्रित था, न कि न्याय देने पर। उन्हें विदा करके 3 नए कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की भावना लाएंगे।"
राजद्रोह
न्यूजबाइट्स प्लस
बता दें कि नए विधेयकों में राजद्रोह के कानून को खत्म कर दिया गया था। इससे पहले IPC की धारा 124A में राजद्रोह का जिक्र था, लेकिन अब नए विधेयक में राजद्रोह का प्रावधान नहीं होगा।
हालांकि, नए विधेयक की धारा 150 में राजद्रोह जैसा ही एक प्रावधान रखा गया, लेकिन इसे एक नया रंग-रूप और नाम दिया गया।
इसके अलावा इन विधेयकों में मॉब लिंचिंग जैसे अपराध में 7 साल की सजा लेकर मृत्युदंड का प्रावधान भी था।