दिल्ली: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, राजपथ का नाम बदलकर किया जाएगा 'कर्तव्य पथ'
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने दिल्ली के राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन को नया नाम देने का निर्णय लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजपथ का नाम बदलकर 'कर्तव्य पथ' किया जाएगा।
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गुलामी की हर चीज से मुक्त होने की बात कही थी, तभी से राजपथ के नाम बदलने पर भी मंथन शुरू हो गया था।
आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
बैठक
राजपथ का नाम बदलने के लिए कल NDMC ने बैठक बुलाई
नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) ने राजपथ का नाम बदलने के संबंध में 7 सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें प्रस्ताव को परिषद के समक्ष रखा जाएगा।
इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक के पूरे मार्ग और क्षेत्र को 'कर्तव्य पथ' नाम दिया जाएगा।
यह एक उच्च सुरक्षा वाला इलाका है। हर साल यहां गणतंत्र दिवस पर भव्य परेड और झांकियां निकाली जाती हैं।
ब्रिटिश काल में राजपथ को 'किंग्सवे' कहा जाता था।
राजपथ
जनता के लिए अगले हफ्ते खुलेगा राजपथ
दिल्ली के बीचों-बीच बने राजपथ को 20 महीने के अंतराल के बाद अगले सप्ताह जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
इसे शहर में सबसे लोकप्रिय सार्वजनिक स्थान माना जाता है।
इस इलाके का चारों ओर हरियाली के साथ लगभग 1.1 लाख वर्ग मीटर में फैले लाल ग्रेनाइट वॉकवे के साथ पुनर्विकास किया गया है।
राजपथ पर 133 से अधिक लैम्प पोस्ट, 4,087 पेड़, 114 आधुनिक साइनेज और स्टेप्ड गार्डन हैं।
सेंट्रल विस्टा
क्या है सेंट्रल विस्टा परियोजना?
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के 4 किलोमीटर लंबे राजपथ को विकसित और संवारा जाएगा और यहां नए संसद भवन और कॉमन केंद्रीय सचिवालय समेत कई नई इमारतों का निर्माण किया जा रहा है।
नए संसद भवन में 1,224 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके अलावा सभी सांसदों के लिए अलग-अलग पेपर रहित कार्यालय भी बनाए जा रहे हैं।
पूरी योजना में लगभग 20,000 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
मौजूदा संसद
मौजूदा संसद भवन का क्या होगा?
नए संसद भवन के निर्माण के बाद मौजूद संसद भवन को पुरातात्विक संपत्ति के रूप में संरक्षित किया जाने की योजना है और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इसकी पुष्टि कर चुके हैं।
बता दें कि मौजूदा संसद की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को रखी गई थी और इसका उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को हुआ था। इसे बनाने में तब 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। इसका डिजाइन एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा तैयार किया गया था।