राजीव गांधी हत्याकांड: जेल से रिहा किए गए नलिनी श्रीहरण समेत सभी छह हत्यारे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में शामिल रहे छह दोषियों को आज जेल से रिहा कर दिया गया। इनमें नलिनी श्रीहरण भी शामिल हैं जिन्हें तमिलनाडु की वेल्लोर जेल से रिहा किया गया। नलिनी के पति मुरुगन, संथन जयकुमार, रविचंद्रन और रॉबर्ट पायस को भी जेल से रिहा कर दिया गया है। ये सभी आरोपी 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद थे।
पहले से ही पैरोल पर बाहर थीं नलिनी, कागजी कार्रवाई के लिए पहुंचीं जेल
पहले ही पैरोल पर बाहर चल रहीं नलिनी रिहाई की औपचारिकता पूरी करने के लिए वेल्लोर जेल पहुंची और कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद उन्हें पूरी तरह से आजाद कर दिया गया। इसके बाद वह केंद्रीय जेल पहुंची जहां से उनके पति मुरुगन और संथन को रिहा किया गया है। ये दोनों ही श्रीलंकाई नागरिक हैं और उन्हें निर्वासित किया जा सकता है। अन्य दो दोषी, रॉबर्ट और जयकुमार, भी श्रीलंकाई नागरिक हैं और उन्हें भी निर्वासित किया जाएगा।
यह मेरे लिए नया जीवन- नलिनी
रिहाई के बाद अपने पहले बयान में नलिनी ने कहा, "यह मेरे पति और बेटी के साथ मेरा नया जीवन है। मैं सार्वजनिक जीवन में नहीं आऊंगी। मैं 32 साल तक मेरा समर्थन करने के लिए तमिलनाडु के लोगों का धन्यवाद कहती हैं। मैं राज्य और केंद्र सरकार का भी शुक्रिया अदा करती हूं... मैं कल चेन्नई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगी।" अभी तय नहीं है कि वह भारत में रहेंगी या लंदन में रहने वाली अपनी बेटी के पास जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया दोषियों को रिहा करने का आदेश?
शुक्रवार को जारी किए गए राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल तमिलनाडु सरकार के उस फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं, जिसमें उसने दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल मामले को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते और चूंकि उन्होंने फैसला लेने में देरी की, इसलिए वह दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी कर रहा है।
तमिलनाडु सरकार ने 2018 में की थी दोषियों को रिहा करने की सिफारिश
तमिलनाडु सरकार ने 2018 में राज्यपाल से राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सात दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी। हालांकि राज्यपाल ने लंबे समय तक इस पर फैसला नहीं लिया और अंत में जनवरी, 2021 में मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस कदम को गैर-संवैधानिक बताते हुए मई में पहले दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था और शुक्रवार को बाकी छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया।
क्या है राजीव गांधी की हत्या का मामला?
श्रीलंका के लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के आतंकवादियों ने 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में आत्मघाती हमला कर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। वह यहां एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे। इसी दौरान लिट्टे की धनु नाम की सदस्य माला पहनाने के बहाने राजीव के पास आई और बम धमाका कर दिया। इस हमलेे में राजीव समेत 18 लोगों की मौत हुई थी। घटना के समय राजीव प्रधानमंत्री नहीं थे।
26 को सुनाई गई थी फांसी की सजा, किसी को नहीं हुई
TADA कोर्ट ने मामले में कुल 26 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन अक्टूबर, 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 दोषियों को बरी कर दिया। उसने तीन दोषियों (जयकुमार, रविचंद्रन और रॉबर्ट पायस) की सजा को फांसी से कम करके उम्रकैद भी कर दिया। बाकी चार दोषियों में से नलिनी की सजा को सोनिया गांधी की दखल पर 2000 में और पेरारिवलन, मुरुगन और संथन की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
कांग्रेस ने फैसले पर जताई कड़ी आपत्ति
कांग्रेस ने दोषियों की रिहाई पर कड़ी आपत्ति जताई है। संवाद प्रमुख जयराम रमेश की तरफ से जारी किए गए बयान में पार्टी ने कहा, "पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बाकी हत्यारों को छोड़ने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य और पूर्ण रूप से गलत है। कांग्रेस पार्टी स्पष्ट तौर पर इसकी आलोचना करती है और यह पूरी तरह से स्थिर है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।" उसने कहा कि वह सोनिया के विचारों से सहमत नहीं है।