प्रधानमंत्री ने सेना को सौंपे 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क 1-A टैंक, जानिए इनकी खासियत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुए एक कार्यक्रम में 118 अर्जुन मार्क 1-A टैंक सेना को सौंप दिए। सेनाध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे ने इन टैंकों को स्वीकार किया। ये टैंक पूरी तरह से स्वदेशी हैं और उन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। इन्हें बनाने में कुल 8,400 करोड़ रुपये की लागत आई है। आइए भारतीय सेना का सबसे शक्तिशाली टैंक माने जा रहे इस अर्जुन टैंक की खासियतें जानते हैं।
अर्जुन मार्क 1-A में पिछले टैंक के मुकाबले 14 बड़े बदलाव
द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, अर्जुन मार्क 1-A का वजन लगभग 68 टन है और इसमें 120mm की मुख्य तोप लगी हुई है। इसमें पिछले अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक (MBT) के मुकाबले 14 बड़े बदलाव किए गए हैं जो इसे भारतीय सेना का सबसे शक्तिशाली और आत्म-सुरक्षात्मक टैंक बनाते हैं। इसमें अर्जुन MBT के मुकाबले बेहतर फायर पॉवर और स्थिरता है और इसी कारण इसे 'हंटर किलर' नाम दिया गया है।
टैंक में ऑटोमैटिक टारगेट ट्रैकिंग सिस्टम
अर्जुन मार्क 1-A में तकनीक से संबंधित कई बड़े सुधार भी किए गए हैं और इसे सेना की जरूरतों के हिसाब से आधुनिक बनाने की कोशिश की गई है। इस टैंक में ऑटोमैटिक टारगेट ट्रैकिंग सिस्टम लगाया गया है जिसकी मदद से चालक दल लगातार चल रहे और लोकेशन बदल रहे टारगेट को ऑटोमैटिक तरीके से ट्रैक कर पाएंगे और उस पर निशाना साध सकेंगे। ये टैंक किसी भी मौसम में काम करने में भी सक्षम हैं।
ग्रेनेड और धमाके को सहने में सक्षम होंगे टैंक
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, अर्जुन मार्क 1-A टैंक किसी ग्रेनेड या धमाके को सहने में भी सक्षम हैं। इसके अलावा केमिकल हमले से बचने के लिए इसमें विशेष तरह के सेंसर भी लगाए गए हैं। द प्रिंट के अनुसार, इस टैंक के पास अभी के लिए मिसाइल दागने की क्षमता नहीं होगी और इनमें बाद में इससे संबंधित सिस्टम लगाया जाएगा। इससे संबंधित स्वदेशी तकनीक को अभी विकसित किया जा रहा है।
1970 के दशक में शुरू हुआ था अर्जुन टैंक का प्रोजेक्ट
बता दें कि अर्जुन टैंक के प्रोजेक्ट को 1970 के दशक में शुरू किया गया था, लेकिन टैंक की पहली दो रेजीमेंट 2004 में ही सेना में शामिल हो पाईं। अभी सेना के पास 124 अर्जुन MBT टैंक हैं और 2010 में हुए एक ट्रायल में इन्हें रूस के टी-90 टैंक से बेहतर पाया गया था। हालांकि अधिक वजन, कुछ हिस्सों के साथ समस्या और कलपुर्जों की उपलब्धता आदि समस्याओं के कारण इनकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता।
अधिक वजन के कारण तैनाती में होती है दिक्कत
दरअसल, 62.5 टन वजन वाले ये टैंक पाकिस्तानी सीमा की तरफ स्थित सड़कों, पुलों और सुरंगों के लिए बहुत भारी हैं और इस कारण इनकी तैनाती में समस्या होती है। वहीं, मार्क 1-A का वजन तो ज्यादा है, लेकिन इससे पड़ने वाला जोर कम है।