राहुल गांधी को सजा सुनाने वाले समेत 68 जजों की पदोन्नति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में दोषी ठहराने वाले गुजरात के न्यायाधीश हरीश हसमुखभाई वर्मा समेत 68 न्यायाधीशों की पदोन्नति को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच 8 मई को सुनवाई करेगी। वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश कैडर के दो न्यायिक अधिकारियों रविकुमार मेहता और सचिन प्रतापराय मेहता ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए इन न्यायाधीशों की पदोन्नति को चुनौती दी है।
क्या है मामला?
दरअसल, इन 68 न्यायाधीशों को 65 प्रतिशत कोटा प्रणाली के आधार पर पदोन्नत किया गया था। राज्य सरकार की अधिसूचना के बाद गुजरात हाई कोर्ट द्वारा 10 मार्च को इन न्यायाधीशों की पदोन्नति के आदेश जारी किये गए थे। याचिका में मांग की गई है कि गुजरात हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति योग्यता और वरिष्ठता पर होनी चाहिए, जिसके लिए कोर्ट द्वारा इस पदोन्नति के आदेश को रद्द करते हुए नई अधिसूचना जारी की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में कब दायर की गई थी याचिका?
इस मामले में 28 मार्च को दायर की गई याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इन नियुक्तियों को रद्द करने की अपील की गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील पुरविश मलकान ने 10 मार्च को गुजरात हाई कोर्ट द्वारा जारी न्यायाधीशों की पदोन्नति अधिसूचना को रद्द करने की मांग की। इसी बीच गुजरात हाई कोर्ट द्वारा 18 अप्रैल को तबादले की अधिसूचना जारी कर दी गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से जवाब भी मांगा है।
क्या है तबादले का मामला?
18 अप्रैल को जारी अधिसूचना के मुताबिक, न्यायधीश वर्मा को एडिशनल जिला न्यायाधीश के रूप में राजकोट जिला कोर्ट में स्थानांतरित किया जा रहा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से हाई कोर्ट से जवाब मांगा कि क्या संबंधित पदों पर पदोन्नति क्या वरिष्ठता और मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी गई? याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस अधिसूचना में कई न्यायाधीशों की मेरिट योग्यता न होने के बाद भी वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी गई है।
कौन हैं राहुल को दोषी करार देने वाले न्यायाधीश वर्मा?
सूरत के सेशन कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को दोषी करार दिया था। इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश वर्मा ने की थी। वह सूरत के जिला एवं सत्र न्यायालय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) पद पर तैनात हैं। 43 वर्षीय न्यायाधीश वर्मा को न्यायिक सेवा में 10 साल का अनुभव है। वह वडोदरा के रहने वाले हैं और उन्होंने महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है। 2008 में वर्मा न्यायिक अधिकारी बने थे।
क्या है राहुल गांधी से जुड़ा मानहानि का मामला?
दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में राहुल एक रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी होता है। उन्होंने कहा था, "सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है। चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो, चाहे नरेंद्र मोदी।" इस बयान के खिलाफ राहुल पर रांची, पटना और सूरत में मानहानि का केस दर्ज हुआ था।
न्यायधीश वर्मा ने राहुल को सुनाई थी 2 साल की सजा
भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के इस बयान के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था, जिसकी सुनवाई करते हुए सूरत की सेशन कोर्ट के न्यायधीश वर्मा ने राहुल को दोषी मानते हुए 2 साल की सजा सुनाई और 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। सजा मिलने के बाद राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। इस मामले पर राहुल ने गुजरात हाई कोर्ट में भी अपील की थी, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली।