NIA ने बिहार समेत 4 राज्यों में PFI के ठिकानों पर मारा छापा
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीमों ने मंगलवार को 4 राज्यों में स्थित प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कई ठिकानों पर छापेमारी की।
बतौर रिपोर्ट्स, NIA की यह कार्रवाई बिहार की 12 जगहों, उत्तर प्रदेश की 2 जगहों और पंजाब और गोवा की एक-एक जगह पर की गई।
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने पिछले साल सितंबर में PFI और उससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
छापा
बिहार के दरभंगा में डेंटिस्ट के यहां हुई छापेमारी
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, NIA की एक टीम ने बिहार के दरभंगा जिले के उर्दू बाजार में डॉक्टर साकिब रजा नामक एक डेंटिस्ट के यहां पर छापा मारा।
NIA ने PFI से जुड़े एक केस के सिलसिले में पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में सज्जाद अंसारी नामक एक शख्स के घर पर भी छापा मारा। बतौर रिपोर्ट्स, NIA ने अंसारी के घर से उसके आधार कार्ड और PAN कार्ड समेत अन्य कई दस्तावेज भी जब्त किए हैं।
छापेमारी
NIA ने फरवरी में राजस्थान में कई इलाकों में मारा था छापा
NIA ने 18 फरवरी को PFI से जुड़ी गतिविधियों को लेकर राजस्थान में जयपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी समेत 7 जगहों पर छापेमारी की थी।
इस दौरान NIA की टीम ने कई सदस्यों को हिरासत में लेकर मौके से डिजिटल उपकरण, एयरगन, धारदार हथियार और कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए थे।
दरअसल, NIA को इससे पहले PFI से जुड़े सदस्यों के गैरकानूनी गतिविधियों को संचालित करने की सूचना मिली थी।
प्रतिबंध
PFI पर पिछले साल लगा था 5 साल का प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने पिछले साल 28 सितंबर को PFI और उसके सभी सहयोगी संगठनों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत 5 साल का प्रतिबंध लगाया था।
इसकी अधिसूचना में कहा गया था कि PFI के शीर्ष नेतृत्व में शामिल अधिकतर नेता पहले प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े हुए थे। PFI के जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) और इस्लामिक स्टेट (IS) से संबंध भी पाए गए हैं।
संगठन
क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया?
PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है, जो खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। यह पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के नाम से अस्तित्व में आया था।
संगठन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थीं।
देशभर में हुईं कई सांप्रदायिक हिंसाओं में PFI का नाम आया था, जिसके बाद उस पर प्रतिबंध लगाया गया था।