सूडान में जारी संघर्ष के बीच फंसे भारतीयों को सड़क मार्ग के जरिए निकाला जाएगा बाहर
सूडान में सत्ता हासिल करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच शुरू हुए संघर्ष को एक सप्ताह बीत चुका है। इस बीच भारत सरकार सूडान में फंसे भारतीयों को सड़क मार्ग से निकालने की योजना पर काम कर रही है। बतौर रिपोर्ट्स, लड़ाई के क्षेत्र से बाहर मौजूद लोगों को सबसे पहले सड़क के जरिए निकाला जाएगा। वहीं इसके बाद लगातार हिंसा और फायरिंग वाले इलाकों में फंसे भारतीयों को हिंसा कम होने पर निकाल लिया जाएगा।
सूडान में हवाई सेवाएं की गई हैं निलंबित
न्यूज18 के मुताबिक, भारतीयों को सड़क मार्ग से निकालने की इस नई योजना पर इसलिए काम किया जा रहा है क्योंकि सूडान के हवाई क्षेत्र में सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। वहीं राजधानी खार्तूम में संघर्ष शुरू होने के तुरंत बाद खार्तूम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को भी अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया था। बतौर रिपोर्ट्स, सूडान के कुछ अधिकारियों ने कुछ घंटों के लिए हवाईअड्डे को खोलने की बात कही थी।
सऊदी अरब की मदद से सूडान से बाहर आए कुछ भारतीय नागरिक
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि उसने सूडान में फंसे अपने 91 नागरिकों और भारत समेत 12 मित्र देशों के करीब 66 नागरिकों को सड़क के रास्ते सूडान से बाहर निकाला है। इन सभी लोगों को लाल सागर के तट पर स्थित जेद्दाह ले जाया गया था। वहीं अमेरिका की सेना ने खार्तूम में स्थित अपने दूतावास के अधिकारियों और कर्मचारियों को बाहर निकालने का काम पूरा कर लिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने की थी उच्च स्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षा की समीक्षा के लिए शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी, जिस दौरान सूडान से भारतीयों को सुरक्षित निकालने पर चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को सतर्क रहने और स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए कहा था। वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित निकासी के लिए अमेरिका, सऊदी अरब, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से संपर्क में है।
सूडान में क्यों चल रहा है संघर्ष?
सूडान में सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच संघर्ष चल रहा है। इसके पीछे की बड़ी वजह देश की सत्ता पर कब्जा करना है। यह मुख्य लड़ाई दो जनरलों के बीच है। अक्टूबर, 2021 में देश में हुए तख्तापलट के बाद RSF और सेना के बीच एक समझौता हुआ था। हाल ही में इस समझौते के विफल होने के बाद संघर्ष बढ़ गया है। RSF की स्थापना 2013 में पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर ने की थी।