सीमा विवाद पर चीन को जवाब देने की तैयारी, LAC पर 300 किलोमीटर सड़क बनाएगा भारत
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन से चल रहे तनाव के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। भारत अरुणाचल प्रदेश में LAC के नजदीक लगभग 300 किलोमीटर लंबी 4 प्रमुख सीमा सड़कें बनाने की तैयारी कर रहा है। सरकार ने इस संबंध में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) भी तलब की है। ये वो इलाके हैं, जहां वर्तमान में कोई सड़क मार्ग नहीं है। चीन से सीमा विवाद को देखते हुए इसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
कहां से कहां तक बनाई जाएगी सड़कें?
न्यूज 18 के मुताबिक, एक 72 किलोमीटर लंबी सड़क LAC के करीब तूतिंग से मुइरबे होते हुए बेम तक बनाई जाएगी। 58 किलोमीटर लंबी दूसरी सड़क तापा से हश होते हुए डिले तक बनाई जाएगी। 107 किलोमीटर लंबी एक तीसरी सड़क ह्युलियांग से कुंडाओ तक बनाई जाएगी और किबिथु से कुंडाओ तक एक चौथी सड़क बनाई जाएगी, जिसकी लंबाई 52 किलोमीटर होगी। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने भी सड़कों से जुड़ी व्यवहार्यता रिपोर्ट मांगी है।
क्या होगा फायदा?
इससे LAC के साथ सटे सीमावर्ती इलाकों में इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और भारतीय सेना के जवानों सैन्य साजो-सामान की आवाजाही तेज हो सकेगी। न्यूज 18 से बात करते हुए एक सरकारी अधिकारी ने कहा, "LAC के समानांतर चलने वाली कोई भी सड़क न केवल हमारे विरोधियों को बैकफुट पर ला देगी, बल्कि पूरे अरुणाचल प्रदेश में हमारी प्रतिक्रिया तेज होगी।" एक दूसरे विशेषज्ञ ने कहा, "इन सड़कों का सामाजिक, आर्थिक और रणनीतिक हर तरह का प्रभाव पड़ेगा।"
पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
रिपोर्ट के मुताबिक, इन सड़कों को अगर अरुणाचल फ्रंटियर राजमार्ग का हिस्सा बना दिया जाए तो इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकता है। वर्तमान में इन हिस्सों को जोड़ने वाली कोई सड़क नहीं है। ITBP के एक अधिकारी के अनुसार, "इस क्षेत्र में कोई सड़क नहीं है। लगभग 3 साल पहले किबिथू से कुंडाओ तक पैदल ट्रैक बनाया गया था, लेकिन यात्रा में समय लगता था। किबिथू चीनी सीमा के करीब है और यहां कोई सड़क मार्ग नहीं है।"
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत का चीन के साथ सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता आया है और भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है। चीन ने कई बार नक्शों में अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा दर्शाया है। भारत और चीन के बीच साल 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 38 चीनी सैनिक मारे गए थे।