
रूस से कच्चे तेल की खरीदी बंद करने पर भारत को कितना नुकसान होगा?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। उन्होंने रूस से व्यापारिक संबंधों के चलते भारत पर जुर्माना लगाने का भी ऐलान किया है। दरअसल, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से रूस कच्चा तेल सस्ते में बेच रहा है। इसी वजह से भारत भारी मात्रा में रूस से तेल खरीदने लगा था और यही बात अमेरिका को नागवार गुजरी। आइए जानते हैं कि रूस से तेल न खरीदने का क्या असर हो सकता है।
असर
करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है भारत का आयात बिल
रूस से कच्चे तेल का आयात बंद करने पर भारत का आयात बिल 14 अरब डॉलर (करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये) तक बढ़ सकता है। ICRA के उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ के अनुसार, भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बंद करने से तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है, जिससे देश का आयात बिल लगभग 13-14 अरब डॉलर बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वास्तविक लागत और ज्यादा हो सकती है, क्योंकि अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें भी बढ़ेंगी।
बयान
प्राकृतिक गैस और उर्वरक भी होंगे महंगे
फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बात करते हुए वशिष्ठ ने कहा, "ब्रेंट की कीमतों से जुड़े घरेलू गैस और LNG आयात भी महंगे हो जाएंगे, जिससे उर्वरक, शहर गैस वितरण जैसे सभी गैस उपभोक्ता प्रभावित होंगे। ब्रेंट की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से सालाना खरीदी जाने वाली LNG की लागत 3,900 करोड़ रुपये बढ़ सकती है।" ICRA के अनुसार, मई 2022-25 के बीच भारत ने रूसी तेल की खरीद से लगभग करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं।
देश
पश्चिम समेत अन्य देशों पर भी होगा असर
ICRA के अनुसार, रियायती दरों पर तेल खरीदकर भारत-चीन रूस के तेल का बड़ा बाजार बन गए थे। इससे कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव कम था और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें भी स्थिर थीं। हालांकि, अब अगर भारत रूसी तेल का आयात बंद कर देगा, तो गैर-रूसी तेल के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी और कीमतें बढ़ने लगेंगी। पश्चिमी देशों पर भी इसका असर होगा, क्योंकि भारतीय रिफाइनरियां रूसी कच्चा तेल पश्चिमी देशों को सस्ती दरों पर बेच रही थीं।
तेल
रूस से कितना कच्चा तेल खरीदता है भारत?
भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। जून, 2025 में रूस से भारत का कच्चा तेल आयात 11 महीने के उच्चतम स्तर 2.08 मिलियन बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है। यह वृद्धि सऊदी अरब और इराक से संयुक्त आयात से भी ज्यादा है। वहीं, भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2024-25 में 68.7 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह 2019 के मुकाबले लगभग 6 गुना ज्यादा है।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
अमेरिका और सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और वह रोजाना करीब 50 लाख बैरल कच्चे तेल का निर्यात करता है। इसमें से 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा यूरोप को सप्लाई होता है। वहीं, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला और आयात करने वाला देश है। भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है।