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#NewsBytesExplainer: पहलगाम हमले के आतंकियों तक कैसे पहुंचे सुरक्षाबल और कैसे हुई हमलावरों की पुष्टि?
पहलगाम हमले का मुख्य आरोपी 'ऑपरेशन महादेव' में मारा गया

#NewsBytesExplainer: पहलगाम हमले के आतंकियों तक कैसे पहुंचे सुरक्षाबल और कैसे हुई हमलावरों की पुष्टि?

लेखन आबिद खान
Jul 30, 2025
02:44 pm

क्या है खबर?

28 जुलाई को सुरक्षाबलों ने श्रीनगर के दाचीगाम नेशनल पार्क के पास हरवान इलाके में 3 पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया था। इनमें पहलगाम आतंकी हमले का मुख्य आरोपी सुलेमान शाह भी शामिल था। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद से ही सुरक्षाबल इन आतंकियों की तलाश में जुटे थे। इसके लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाया जा रहा था। आइए जानते हैं सुरक्षाबल आतंकियों तक कैसे पहुंचे।

सैटेलाइट फोन

सैटेलाइट फोन से कैसे मिली आतंकियों की लोकेशन?

28 जुलाई की रात आतंकियों ने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क करने के लिए सैटेलाइट फोन एक्टिवेट किया था। ये वही सैटेलाइट फोन था, जिसके सिग्नल पहलगाम हमले के वक्त बैसरन घाटी में मिले थे। इसके बाद सुरक्षाबलों ने इसके सिग्नल ट्रैस किए और उन्हें आतंकियों की मोटी-मोटी लोकेशन मिल गई कि वे दाचीगाम जंगलों में छिपे हुए हैं। फिर सुरक्षाबलों ने बेहद सावधानीपूर्वक और रणनीतिक तरीके से 'ऑपरेशन महादेव' शुरू किया।

ड्रोन

ड्रोन की भी ली गई मदद

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, आतंकियों की जानकारी मिलने के बाद उनकी लोकेशन की सटीक जानकारी निकालने के लिए ड्रोन की मदद ली गई। इसके बाद सुरक्षाबलों ने स्थानीय नेटवर्क से इस दुर्गम इलाके के बारे में और जानकारी इकट्ठा की। फिर सुबह 10 बजे के आसपास जवानों को महादेव घाटी पर भेजा गया। यहां जवानों ने तंबू में आराम कर रहे तीन आतंकियों को घेर लिया। एक घंटे के भीतर ही तीनों आतंकियों को मार दिया गया।

तकनीक

आधुनिक तकनीक का भी लिया गया सहारा

हमले के बाद सुरक्षाबल और खुफिया एजेंसियां आतंकियों को पकड़ने के लिए पहलगाम के आसपास की कई पर्वतीय चोटियों और जंगलों में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चला रही थीं। इसके लिए सैटेलाइट इमेज से लेकर ड्रोन से भी निगरानी की जा रही थी। जैसे ही कोई सिग्नल ट्रैस होता, एजेंसियां तुरंत उस इलाके की पारिस्थितिकी को समझती और फिर वहां सुरक्षाबल भेजे जाते। लगातार 3 महीने से ये काम किया जा रहा था।

इलाका

कितना चुनौतीपूर्ण था ऑपरेशन?

सुरक्षाबलों के लिए ये ऑपरेशन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण काफी चुनौतीपूर्ण था। जिस महादेव शिखर पर मुठभेड़ हुई, वो करीब 12,000 फीट ऊंची है, जिसमें बड़ी संख्या में गुफाएं, घने जंगल और झाड़ियां हैं। आतंकी इन परिस्थितियों का फायदा उठाते थे। वे अपने ठिकाने से थोड़ी दूर जाकर सैटेलाइट फोन चालू करते थे, ताकि सटीक लोकेशन न मिले। सुरक्षाबलों ने यह सुनिश्चित किया कि आतंकवादी लगातार घूमते रहें और उन्हें लंबे समय तक आराम करने का मौका न मिले।

पहचान

विशेष विमान से चंडीगढ़ भेजे गए बरामद हथियार

आतंकियों के पास से बरामद बंदूकों और अन्य हथियारों को श्रीनगर से एक विशेष विमान से चंडीगढ़ की फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी लाया गया। यहां बरामद हथियारों से गोलियां चलाई गईं और खाली खोखों का मिलान बैसरन घाटी से बरामद गोलियों के खोलों से किया गया। NDTV के मुताबिक, 99 प्रतिशत पुष्टि हुई कि ये वही हथियार थे। इस पूरी प्रक्रिया पर गृह मंत्री अमित शाह लगातार नजर रखे हुए थे।

बयान

गृह मंत्री ने संसद में क्या बताया?

आतंकियों से मिले सामान और लैबोरेटरी द्वारा पुष्टि होने के बाद गृह मंत्री शाह ने इस बारे में संसद में जानकारी दी। उन्होंने लोकसभा में कहा था, "इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है। मेरे पास बैलिस्टिक रिपोर्ट है, 6 वैज्ञानिकों ने इसकी क्रॉस-चेकिंग की है और वीडियो कॉल पर मुझे पुष्टि की है कि पहलगाम में चलाई गई गोलियां और बरामद हथियारों से चलाई गई गोलियां 100 प्रतिशत मेल खाती हैं।"