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सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, जानिए क्या कहा
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, जानिए क्या कहा

लेखन गजेंद्र
Jul 30, 2025
02:41 pm

क्या है खबर?

सरकारी आवास में बेहिसाब नकदी मिलने के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिका में न्यायमूर्ति वर्मा ने उनके खिलाफ हुई सुप्रीम कोर्ट की आतंरिक समिति की जांच रिपोर्ट को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा का आचरण विश्वास पैदा नहीं करता है। इस दौरान न्यायमूर्ति वर्मा के पक्ष के वकीलों ने काफी बहस की।

सुनवाई

CJI महज डाकघर नहीं हैं- कोर्ट

न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी समेत कई अन्य ने आंतरिक जांच समिति द्वारा याचिकाकर्ता को पद से हटाने की सिफारिश पर सवाल उठाया। इस पर न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) महज डाकघर नहीं हैं। न्यायपालिका के नेता के रूप में राष्ट्र के प्रति उनके कुछ कर्तव्य हैं। यदि कदाचार से संबंधित कोई सामग्री उनके पास आती है, तो CJI का कर्तव्य है कि वे उसे राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को भेजें।"

आचरण

न्यायमूर्ति वर्मा के आचरण पर उठाया सवाल

पीठ ने पहले न्यायमूर्ति वर्मा द्वारा आंतरिक जांच प्रक्रिया में पूर्ण रूप से भाग लेने और उसके बाद में उसे चुनौती देने के निर्णय पर आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "आपका आचरण विश्वास पैदा नहीं करता। आपका आचरण बहुत कुछ कहता है। आप अनुकूल निष्कर्षों की प्रतीक्षा कर रहे थे और जब आपको यह अप्रिय लगा, तो आप यहां आ गए। अनुच्छेद 32 के तहत आचरण भी प्रासंगिक है। आप समिति के समक्ष क्यों उपस्थिति हुए?"

सुनवाई

पैसा किसका था, यह मुद्दा नहीं है- पीठ

अधिवक्ता सिब्बल ने यह मुद्दा उठाया कि आंतरिक समिति ने यह पता नहीं लगाया कि पैसा किसका था और न्यायमूर्ति वर्मा के घर तक कैसे पहुंचा। इस पर न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "समिति के समक्ष यह कोई मुद्दा नहीं है। समिति के सामने क्या मुद्दे थे? हम अपनी भाषा में बहुत कठोर होंगे... आप अपना मामला जानते हैं, हम अपना। यह पता लगाना समिति का काम नहीं है कि पैसा किसका है।"

फैसला

निष्कासन केवल संसद के जरिए हो सकता है- पीठ

न्यायमूर्ति दत्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि समिति की रिपोर्ट प्रारंभिक निष्कर्ष है और निष्कासन की सिफारिश CJI की सलाह है। पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति का निष्कासन केवल संसद के जरिए हो सकता है। न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "क्या संसद आंतरिक प्रक्रिया से बंधी है? CJI का मानना है कि यह ऐसा मामला है जिसे साक्ष्यों के आधार पर रिपोर्ट किया जाना चाहिए, आरोप गंभीर हैं और निष्कासन की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।"