अल-फलाह विश्वविद्यालय ने फर्जी मान्यता, धोखाधड़ी और जालसाजी से कैसे लाखों छात्रों को लगाया चूना?
क्या है खबर?
दिल्ली में हुए धमाके के बाद चर्चा में आए अल-फलाह विश्वविद्यालय को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसियों ने विश्वविद्यालय के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया है। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया है कि विश्वविद्यालय का संचालन करने वाले ट्रस्ट ने झूठे दावों के जरिए लगभग 415 करोड़ रुपये कमाए हैं। विश्वविद्यालय ने कथित तौर पर मान्यता खत्म होने का दिखावा किया, झूठे दावे किए और करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया।
रिपोर्ट
एक ही PAN नंबर पर हो रहा था सारा लेन-देन
NDTV के मुताबिक, जांच से पता चला है कि संस्थाओं के बैंक खाते और आयकर रिटर्न (ITR) एक ही PAN नंबर पर थे। इससे वास्तविक कमाई को छिपाने का संकेत मिलता है। ITR के मुताबिक, 2014-15 और 2015-16 में क्रमशः 30.89 करोड़ और 29.48 करोड़ रुपये दान के रूप में दिखाए गए। 2018-19 में आय 24.21 करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में बढ़कर 80.01 करोड़ हो गई। 7 सालों में विश्वविद्यालय को कुल 415 करोड़ रुपये की आय हुई।
मान्यता
बिना मान्यता छात्रों से वसूली फीस
विश्वविद्यालय ने बिना मान्यता के छात्रों से पूरी फीस वसूली। विश्वविद्यालय के खिलाफ दर्ज मामलों में आरोप लगाया गया है कि छात्रों को झूठी मान्यता का उपयोग कर प्रवेश दिया गया, फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और इन शुल्कों के आधार पर अवैध आय अर्जित की गई। ED ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय ने छात्रों की फीस का इस्तेमाल निजी उद्देश्यों के लिए किया। यह भी कहा गया कि कुलाधिपति जवाद सिद्दीकी ही सभी बड़े वित्तीय फैसले लेते थे।
गड़बड़ी
UGC नियमों को लेकर भी किए गलत दावे
कथित तौर पर विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अधिनियम की धारा 12(B) के तहत पात्रता का दावा किया, जो संस्थानों को केंद्रीय अनुदान प्राप्त करने की अनुमति देता है। हालांकि, जांच में पता चला कि विश्वविद्यालय ने ऐसी मान्यता के लिए कभी आवेदन नहीं किया था और इसलिए उसे ये दावा करने का कानूनी अधिकार नहीं था। अधिकारियों का कहना है कि इन फर्जी दावों के आधार पर छात्रों और अभिभावकों को फीस भरने के लिए प्रेरित किया गया।
मनी लॉन्ड्रिंग
जांच में मनी लॉन्ड्रिंग तंत्र का भी हुआ खुलासा
जांच में अधिकारियों द्वारा एक सुनियोजित मनी लॉन्ड्रिंग तंत्र का भी खुलासा हुआ है। जांचकर्ताओं का कहना है कि हॉस्टल और मेस की फीस अमला एंटरप्राइजेज LLP को भेजी गई, जो कथित तौर पर संस्थान से जुड़े परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित एक फर्म है। इसके अलावा एक अन्य संस्था का इस्तेमाल कथित तौर पर निर्माण संबंधी धन को इधर-उधर करने के लिए किया गया था। दोनों लेन-देन ED द्वारा प्राप्त मौजूदा वित्तीय रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
धमाके
दिल्ली धमाके से जुड़े हैं विश्वविद्यालय के तार
दिल्ली में हुए कार धमाके के तार अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े हैं। विश्वविद्यालय का डॉक्टर उमर ही वो कार चला रहा था, जिसमें धमाका हुआ था। इसके अलावा विश्वविद्यालय के कुछ और डॉक्टर और काम करने वाले लोगों की भी इस आतंकी घटना में भूमिका रही है, जिनके तार जम्मू-कश्मीर से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैले हुए हैं। एजेंसियों ने विश्वविद्यालय के संचालक समेत कई डॉक्टरों और कर्मचारियों को हिरासत में लिया है।