सरकार ने कहा- आंदोलन में मरने वाले किसानों का रिकॉर्ड नहीं, मुआवजे का सवाल नहीं उठता
कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, आज केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि वह मृत किसानों के परिवारों को मदद नहीं देने जा रही है। सरकार ने संसद को बताया है कि उसके पास जान गंवाने वाले किसानों का आंकड़ा नहीं है और ऐसे में मुआवजा देने का सवाल ही नहीं उठता।
सरकार ने दिया लिखित जवाब
शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विपक्ष ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार के पास आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा है और क्या सरकार उनके परिजनों को आर्थिक सहायता देने पर विचार कर रही है? इसके लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि कृषि मंत्रालय के पास ऐसी मौतों का कोई रिकॉर्ड नहीं है और ऐसे में मुआवजे का सवाल नहीं उठता है।
किसान संगठनों ने कही है लगभग 700 मौतों की बात
किसान संगठनों का दावा है कि अब रद्द किए जा चुके कृषि कानूनों के आंदोलन के दौरान करीब 700 किसानों की मौत हुई थी। किसान और विपक्षी दल लगातार सरकार से मृतकों के परिवारों को आर्थिक मदद देने की मांग कर रहे हैं। पंजाब सरकार ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की याद में स्मारक बनाने का ऐलान किया है। सरकार पहले से ही मृत किसानों के परिवारों को नौकरी भी दे रही है।
कानून रद्द, लेकिन आंदोलन जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने देश को संबोधित करते हुए सितंबर, 2020 में लागू किए गए तीन विवादित कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था। इस मौके पर उन्होंने देशवासियों से माफी मांगी और किसानों से वापस घर लौटने की अपील की थी। प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद ने बगैर चर्चा के कृषि कानून वापस लेने वाले विधेयक को पारित कर दिया था, लेकिन किसानों का आंदोलन अभी जारी है।
किसानों की क्या मांगें हैं?
आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि कृषि कानून वापस करवाना उनकी एक मांग थी, जिसे पूरा किया गया है। अब सरकार को MSP, किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की प्रक्रिया और मुआवजे समते दूसरे मुद्दों पर बातचीत शुरू करनी चाहिए। इसी बीच यह खबर आई है कि सरकार ने बातचीत शुरू करने के लिए किसान संगठनों से पांच लोगों के नाम सुझाने को कहा है। इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा 4 दिसंबर को बैठक करेगा।
सरकार ने कब-कब कहा उसके पास आंकड़े नहीं हैं?
यह पहला मौका नहीं है, जब सरकार ने किसी बड़ी घटना से जुड़े आंकड़े नहीं होने की बात कही है। इससे पहले सरकार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतें, पहली लहर के दौरान घर लौटते समय हादसों में हुई प्रवासी मजदूरों की मौत, कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी और नौकरी गंवाने लोगों और पिछले 10 सालों के दौरान काला धन छिपाने वालों से जुड़े आंकड़े नहीं होने की बात कह चुकी है।