LOADING...
फ्रांस की कंपनी सफरान और DRDO मिलकर बनाएंगे भारत का पहला लड़ाकू विमानों का इंजन
फ्रांस की सफरान कंपनी के साथ मिलकर DRDO बनाएगा जेट इंजन (तस्वीर: एक्स/@ToughSf)

फ्रांस की कंपनी सफरान और DRDO मिलकर बनाएंगे भारत का पहला लड़ाकू विमानों का इंजन

लेखन गजेंद्र
Sep 11, 2025
09:23 am

क्या है खबर?

भारत में जल्द ही लड़ाकू विमानों के इंजन बनाने का काम शुरू हो जाएगा, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और फ्रांस की कंपनी सफरान मिलकर करेंगे। केंद्र सरकार आने वाले दिनों में सफरान एसए और भारत के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) की संयुक्त परियोजना को मंजूरी दे सकती है। GTRE DRDO के तहत एक प्रयोगशाला है। परियोजना के तहत 120 किलो न्यूटन क्षमता का जेट इंजन विकसित और निर्मित किया जाएगा।

विकास

जेट इंजन की पूरी तकनीक सफरान DRDO को हस्तांतरित करेगा

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 120 किलो न्यूटन क्षमता का जेट इंजन भारत के दोहरे इंजन वाले उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) लड़ाकू विमान को शक्तिशाली बनाएगा। बताया जा रहा है कि इंजन को भारतीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के तहत भारत में विकसित किया जाएगा, जिसमें सफरान क्रिस्टल ब्लेड तकनीक सहित पूरी तकनीक DRDO को हस्तांतरित करेगा। इंजन में ये ब्लेड सुपर-मिश्र धातुओं का उपयोग करके एक ही क्रिस्टल से बनाए जाते हैं, जो उच्च ताप और दबाव झेलते हैं।

समझौता

2 साल से अटका था समझौता

रिपोर्ट के मुताबिक, जेट इंजन बनाने और सफरान का DRDO के साथ मिलकर काम करने की योजना पिछले 2 साल से लटकी थी। अब केंद्र सरकार ने DRDO को एक प्रस्ताव लाने को कहा है, जिसे जल्द ही हरी झंडी दे दी जाएगी। बता दें कि DRDO के पास यह तकनीक है, लेकिन इसे उच्च-शक्ति वाले जेट लड़ाकू इंजनों के लिए तैयार करना एक अलग स्तर की चुनौती है। परियोजना में टाटा समूह, L&T और अदानी डिफेंस भी सहयोग देंगे।

तकनीक

चीन के पास नहीं है जेट इंजन बनाने की तकनीक

अभी जेट इंजन डिजाइन, विकसित और निर्माण की क्षमता अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के पास है, जबकि चीन इससे अछूता है। चीन अपने उन्नत लड़ाकू विमानों के लिए रूसी या रिवर्स इंजीनियर्ड इंजन का उपयोग करता है। भारत के GTRE ने भी स्वदेशी इंजन कावेरी बनाने का प्रयास किया था। भारत अमेरिकी रक्षा कंपनी GE से 212 एफ-404 इंजन आपूर्ति करती है और भारी GE-414 इंजन की प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण कर रही है, लेकिन यह केवल 70 प्रतिशत है।

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस

सफरान-GTRE 12 साल की समयसीमा में लड़ाकू इंजनों के नौ प्रोटोटाइप विकसित करेंगे। पहले इंजनों को 120 किलो न्यूटन शक्ति के साथ विकसित किया जाएगा, लेकिन अवधि के अंत तक इनकी क्षमता 140 किलो न्यूटन तक बढ़ा दी जाएगी। तकनीक हस्तांरण 100 प्रतिशत होगा।