
क्या भारत ने रूसी तेल खरीदना कर दिया है बंद, ट्रंप के दावों में कितना सच?
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विवादित दावा करते हुए कहा है कि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है। ट्रंप ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया है। हालांकि, भारत ने कहा कि वो भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा को देखकर ऊर्जा से जुड़े फैसले लेगा। वहीं, आंकड़े भी ट्रंप के इस दावे से अलग कहानी कह रहे हैं।
बयान
सबसे पहले जानिए ट्रंप ने क्या कहा?
व्हाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। भारत के रूस से तेल खरीदने से मुझे खुशी नहीं थी, लेकिन आज उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। अब हमें चीन से भी यही करवाना होगा। चीन पर दबाव डालना पिछले हफ्ते हम जो मध्य पूर्व में कर चुके हैं, उसकी तुलना में आसान होगा।"
आंकड़े
क्या कहते हैं आंकड़े?
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के अनुसार, सितंबर में भारत रूसी ऊर्जा उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था। भारत ने पिछले महीने 25,597 करोड़ रुपये के रूसी ऊर्जा उत्पाद खरीदे थे। वहीं, चीन पहले नंबर पर है। भारत की कुल खरीद में कच्चे तेल का हिस्सा 77 प्रतिशत, कोयले का 13 प्रतिशत और तेल उत्पादों का 10 प्रतिशत रहा। सितंबर में भारत का कच्चे तेल का आयात 45 लाख बैरल प्रतिदिन से ज्यादा रहा।
कमी
क्या अमेरिकी दबाव के चलते रूसी तेल खरीद में आई कमी?
आंकड़ों के मुताबिक, भारत की सरकारी रिफाइनरियों ने जून और सितंबर के बीच रूसी तेल आयात में 45 प्रतिशत से ज्यादा की कमी की है। इसके बावजूद देश में कच्चे तेल की आपूर्ति पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। कमोडिटीज और शिपिंग मार्केट ट्रैकर केपलर के अनुसार, 2025 के पहले 8 महीनों में कुल आयात में 10 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद केवल सितंबर में भारत आने वाले सभी कच्चे तेल के शिपमेंट का 34 प्रतिशत रुस से था।
देश
रूस से कौनसे देश कितनी मात्रा में ऊर्जा उत्पाद खरीद रहे हैं?
रूस से सबसे ज्यादा कोयला चीन खरीद रहा है। इसके बाद भारत, तुर्की और दक्षिण कोरिया हैं। रूसी कच्चे तेल के 5 शीर्ष खरीदारों में चीन, भारत, तुर्की, यूरोपीय संघ (EU) और म्यांमार हैं। रूसी LNG सबसे ज्यादा EU खरीद रहा है। इसके बाद चीन, जापान और दक्षिण कोरिया बड़े खरीदार हैं। पाइपलाइन गैस की बात करें, तो इसका सबसे बड़ा खरीदार EU है। इसके बाद चीन, तुर्की, मालडोवा और सर्बिया हैं।
भारत
ट्रंप के दावों पर भारत ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय ने कहा कि अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना सरकार की निरंतर प्राथमिकता रही है। मंत्रालय ने कहा, "हमारी आयात नीतियां पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं। स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार बनाना और बाजार की स्थितियों के अनुरूप विविधीकरण करना शामिल है।"