अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, गिरफ्तारी पर नहीं लगी रोक
शराब नीति मामले में गिरफ्तार हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही केजरीवाल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को 2 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई अब 3 अप्रैल को होगी। कोर्ट में केजरीवाल का पक्ष वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा और ED की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए।
सिंघवी ने कहा- ये संविधान के मूल ढांचे से जुड़ा मामला
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "यह ऐसा मामला है, जो संविधान के मूल ढांचे पर असर डालता है। हालांकि यह आपराधिक कानून के दायरे में आता है, लेकिन यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण मामला है क्योंकि यह सीधे बुनियादी ढांचे पर असर डालता है। एक मौजूदा मुख्यमंत्री को एक सप्ताह पहले गिरफ्तार किया गया, जबकि चुनाव का समय आ गया है। लोकतंत्र का मूल आधार समान अवसर है।"
सिंघवी ने गिरफ्तारी के समय पर उठाए सवाल
सिंघवी ने आगे कहा, "अगर आप समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए कुछ भी करते हैं तो आप बुनियादी ढांचे पर अतिक्रमण कर रहे हैं। चुनाव के ठीक पहले की गई इस गिरफ्तारी का उद्देश्य व्यक्ति को चुनाव प्रचार से वंचित करना और पार्टी को बड़ा झटका देना है। ऐसा करने से आप मतदान से पहले ही कुछ अंक हासिल कर लेते हैं। मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा सकता है लेकिन सवाल समय का है।"
28 मार्च तक ED की रिमांड पर हैं केजरीवाल
दरअसल, शराब नीति मामले में 21 मार्च की रात ED ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था। अगले दिन यानी 22 मार्च को ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट में केजरीवाल को पेश किया, जहां से उन्हें 28 मार्च तक ED की रिमांड में भेज दिया गया था। गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया और जेल से ही सरकार चला रहे हैं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है।
घोटाले की सच्चाई का कोर्ट में खुलासा करेंगे केजरीवाल- सुनीता
केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, "कल शाम मैं मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने जेल गई। केजरीवाल ने मुझे एक बात कही। उन्होंने बताया कि कथित शराब घोटाले की जांच में ED ने 2 साल में 250 से ज्यादा छापे मारे। वो घोटाले का पैसा ढूंढ रहे हैं। अभी तक एक पैसा नहीं मिला। तो इस कथित घोटाले का पैसा है कहां। अरविंद जी ने कहा है कि वो इसका खुलासा 28 मार्च को कोर्ट में करेंगे।"
क्या है शराब नीति का मामला?
दिल्ली सरकार ने नवंबर, 2021 में नई शराब नीति लागू की थी। इसमें शराब के ठेके निजी शराब कंपनियों को दिए गए थे। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने की सिफारिश की। बाद में ED भी जांच में शामिल हो गई। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब कंपनियों से रिश्वत लेकर उन्हें नीति के जरिए लाभ पहुंचाया और शराब के ठेके दिए।