
#NewsBytesExplainer: क्या रूस से पूरी तरह कच्चा तेल खरीदना बंद कर सकता है भारत?
क्या है खबर?
रूस से कच्चे तेल की खरीदी को लेकर भारत और अमेरिका में सबकुछ ठीक नहीं है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत रूस से तेल खरीदी बंद कर देगा। ट्रंप ने दावा किया था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें इस बात का आश्वासन दिया है। हालांकि, भारत ने कहा कि ट्रंप-मोदी के बीच कोई चर्चा नहीं हुई। आइए जानते हैं कि क्या भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर सकता है।
भारत
भारत कितना कच्चा तेल आयात करता है?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। हम रोजाना 5.5 मिलियन बैरल तेल इस्तेमाल करते हैं और अपनी जरूरत का लगभग 87 प्रतिशत आयात करते हैं। ऐतिहासिक रूप से भारत कुल कच्चे तेल का लगभग 66 प्रतिशत मध्य-पूर्वी देशों खासतौर पर इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से खरीदता रहा है। हालांकि, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रियायती कीमतों पर रूस से तेल खरीदना शुरू किया।
रूस
रूस से कितना तेल खरीदता है भारत?
वित्त वर्ष 2020 तक भारत के कुल तेल आयात में रूस का योगदान 1.7 प्रतिशत था। 2023-24 में ये बढ़कर 40 प्रतिशत पर पहुंच गया और रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। वित्त वर्ष 2025 में भारत का रूसी तेल आयात 88 मिलियन टन तक पहुंच गया है। आयात में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह कम कीमत है। फिलहाल भारत को रूस से एक बैरल तेल पर 3 से लेकर 5 डॉलर तक छूट मिलती है।
कमी
अमेरिका से तनातनी के बीच रूसी तेल खरीद में कमी आई है?
अक्टूबर की शुरुआत में भारत ने रूस से 1.77 मिलियन बैरल तेल प्रतिदिन खरीदा। इसके बाद इराक से लगभग 1.01 मिलियन बैरल प्रतिदिन, सऊदी अरब से 8,30,000 बैरल प्रतिदिन और अमेरिका से 6,47,000 बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा। वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म केपलर के अनुसार, रूस भले ही भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, लेकिन सितंबर में तेल आयात पहले आठ महीनों के आयात से लगभग 1,60,000 बैरल प्रतिदिन कम था।
बंद
क्या रूस से तेल खरीदी तुरंत बंद कर सकता है भारत?
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति तुरंत बंद करना लगभग असंभव है। तेल खरीद 4-6 सप्ताह के अग्रिम अनुबंध के आधार पर होती है। यानी फिलहाल खरीदी का अनुबंध सितंबर में हो चुका था। अभी तक की स्थिति के आधार पर नवंबर की शुरुआत तक के अनुबंध हो चुके हैं। जानकार कहते हैं कि अगर नए अनुबंध कम होते हैं, तो आने वाले हफ्तों में रूसी तेल आयात कुछ कम हो सकता है।
विकल्प
तो फिर क्या हैं विकल्प?
जानकारों के मुताबिक, फिलहाल भारत के लिए अपने आयात में विविधता लाना ही विकल्प है। मध्य-पूर्व सबसे बड़ा विकल्प उभरकर सामने आता है, क्योंकि यहां बहुतायत में तेल भी है और इन देशों के साथ भारत का ऐतिहासिक संबंध हैं। ये देश रोजाना 2-4 लाख बैरल की आपूर्ति कर सकते हैं। इसके अलावा अमेरिकी और अफ्रीकी या लैटिन अमेरिकी देश भी संभावित आपूर्तिकर्ता हो सकते हैं। हालांकि, ये बदलाव कई कारकों पर निर्भर करेंगे।
बयान
ट्रंप ने भारत की तेल खरीद को लेकर क्या कहा था?
व्हाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। भारत के रूस से तेल खरीदने से मुझे खुशी नहीं थी, लेकिन उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी) मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। अब हमें चीन से भी यही करवाना होगा। चीन पर दबाव डालना पिछले हफ्ते हम जो मध्य पूर्व में कर चुके हैं, उसकी तुलना में आसान होगा।"