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बिहार SIR पर सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रक्रिया मतदाताओं के खिलाफ नहीं, जानें क्या-क्या हुआ
बिहार SIR पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई

बिहार SIR पर सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रक्रिया मतदाताओं के खिलाफ नहीं, जानें क्या-क्या हुआ

लेखन आबिद खान
Aug 13, 2025
04:31 pm

क्या है खबर?

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने SIR को वोटर फ्रेंडली बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने 11 में से कोई एक दस्तावेज मांगा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के उस तर्क पर भी असहमति जताई, जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग की दस्तावेज जांच प्रक्रिया बहिष्कारकारी कदम है। कोर्ट ने नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेजों का भी जिक्र किया।

बदनामी

बिहार में सबसे ज्यादा IAS/IPS, बदनाम ना करें- कोर्ट

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बिहार में 1-2 प्रतिशत लोगों के पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र होगा। इस पर कोर्ट ने कहा, "बिहार को इस तरह पेश न करें। अखिल भारतीय सेवाओं के संदर्भ में सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व इसी राज्य से है। सबसे ज्यादा IPS, IAS और IFS अधिकारी यहीं से हैं। ऐसे में बिहार को बदनाम ना करें। अगर युवा आबादी प्रेरित नहीं होगी तो ऐसा नहीं हो सकता।"

दस्तावेज

कोर्ट ने कहा- 11 में से कोई 1 दस्तावेज मांगा

कोर्ट ने कहा, "SIR में 11 दस्तावेज मांगे गए हैं, जबकि राज्य में पहले किए गए छोटे वोटर रिवीजन में 7 दस्तावेज मांगे गए थे। याचिकाकर्ताओं के इस तर्क के बावजूद कि आधार को स्वीकार न करना सूची से बाहर करने जैसा रवैया था, लेकिन इसमें दस्तावेजों की बड़ी संख्या का मकसद लोगों को सूची में रखना है। अगर वे सभी 11 दस्तावेज मांगते हैं, तो यह मतदाता-विरोधी है। लेकिन कोई एक दस्तावेज मांगा जाता है, तो ऐसा नहीं है।"

तर्क

वकील सिंघवी बोले- प्रक्रिया बहिष्कृत करने वाली

वकील सिंघवी ने कहा, "यह प्रक्रिया बहिष्कृत करने वाली है, क्योंकि बिहार के ग्रामीण, बाढ़ प्रभावित और गरीबी से जूझ रहे क्षेत्रों में ज्यादातर लोगों के पास इतने दस्तावेज नहीं हैं। अगर जमीन नहीं है तो विकल्प 5, 6, 7 खत्म। पासपोर्ट सिर्फ 1-2 प्रतिशत लोगों के पास है। निवास प्रमाण पत्र भी मुश्किल से मिलता है। दस्तावेजों की संख्या भले ही ज्यादा, लेकिन उनकी कवरेज बहुत ही कम है।"

याचिका

SIR के खिलाफ 11 याचिकाएं

बिहार में SIR के खिलाफ RJD सांसद मनोज झा, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत 11 लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं। इन लोगों का कहना है कि प्रक्रिया से लाखों लोगों का नाम मतदाता सूची से कट जाएगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील गोपाल शंकर नारायण, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पेश हो रहे हैं। चुनाव आयोग का पक्ष पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह रख रहे हैं।

SIR

क्या है SIR?

चुनाव आयोग मतदाता सूची में 3 तरह से सुधार करता है। एक समरी रिवीजन, दूसरा गहन पुनरीक्षण और तीसरा विशेष संशोधन। गहन पुनरीक्षण एक तरह से नई मतदाता सूची बनाने का काम है। इसके लिए घर-घर जाकर लोगों की गणना की जाती है, फिर निर्धारित दस्तावेजों के निरीक्षण के बाद उनका नाम मतदाता सूची में शामिल या हटाया जाता है। विपक्ष का कहना है कि ये गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं का वोट काटने की साजिश है।