गोवा में विदेश पर्यटकों की संख्या में आई 60 प्रतिशत की गिरावट, जानिए क्या है कारण
दशकों से देसी और विदेशी पर्यटकों का घर रहे गोवा से अब विदेशी पर्यटक रूठे नजर आने लगे हैं। अपने साफ और स्वच्छ समुद्र तटों से लेकर अद्वितीय सांस्कृतिक मिश्रण के कारण विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले गोवा में अब साल दर साल इनकी संख्या में गिरावट आ रही है। साल 2019 की तुलना में साल 2023 में यहां विदेश पर्यटकों की संख्या में 60 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। आइए इसका कारण जानते हैं।
गोवा में इस तरह से गिरी विदेशी पर्यटकों की संख्या
CEIC के डाटा के अनुसार, साल 2019 में गोवा में लगभग 9.40 लाख विदेशी पर्यटक आए थे, लेकिन 2023 तक यह संख्या 4.3 लाख ही रह गई। पिछले 10 साल के डाटा के अनुसार, 2014 में 5.13 लाख, 2015 में 5.41 लाख, 2016 में 6.80 लाख, 2017 में 8.42 लाख, 2018 में 9.33 लाख और 2019 में 9.4 लाख, 2020 में 3.2 लाख, 2021 में 5 लाख और 2022 में 22 हजार विदेशी पर्यटक गोवा पहुंचे थे।
भारतीय पर्यटकों की संख्या में हो रहा इजाफा
CEIC के डाटा के अनुसार, गोवा में विदेशी पर्यटकों की संख्या में गिरावट के बीच भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। गोवा में साल 2014 में 35 लाख, 2015 में 47 लाख, 2016 में 56 लाख, 2017 में 60 लाख, 2018 में 70 लाख और 2019 में 71 लाख पर्यटक गोवा पहुंचे थे। हालांकि, 2020 में यह संख्या 32 लाख, साल 2021 में 30 लाख, 2022 में 70 लाख और 2023 में 73 लाख पर पहुंच गई।
भारतीय पर्यटकों की संख्या में भी गिरावट आने की आशंका
रिपोर्ट में गोवा में भारतीय पर्यटकों की संख्या में भी कमी होने की आशंका जताई गई है। दावा है कि गोवा में हर साल रूस और ब्रिटेन से आने वाले पर्यटक अब श्रीलंका की ओर जा रहे हैं। भारतीय पर्यटक अब भी गोवा पहुंच रहे हैं, लेकिन जल्द ही वो भी यहां आना छोड़ देंगे। इसका कारण है कि गोवा में पर्यटकों का शोषण किया जा रहा है, जबकि विदेशों में तुलनात्मक रूप से कई सस्ते स्थान हैं।
टैक्सी माफियाओं की मनमानी है बड़ा कारण
गोवा में विदेशी पर्यटकों की कमी का कारण वहां टैक्सी माफियाओं की मनमानी है। टैक्सी संचालक पर्यटकों से मनमाना किराया वसूल करते हैं और उन्हें परेशान भी करते हैं। हाल ही में एक जर्मन पर्यटक को 37 किलोमीटर की सवारी के लिए 1,800 रुपये चुकाने पड़े थे। इसी तरह किराए पर कार लेकर किसी को लिफ्ट देने पर भी टैक्सी माफिया लोगों से झगड़ा करने पर उतारु हो जाते हैं। यह स्थिति विदेशी पर्यटकों को परेशान कर रही है।
ऑनलाइन टैक्सी सेवाओं की कमी
विदेशी पर्यटकों की संख्या में कमी का दूसरा बड़ा कारण वहां ऑलनाइन टैक्सी सेवाओं की कमी होना भी है। ओला और उबर की कमी से पर्यटकों को स्थानीय टैक्सियों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस वजह से उन्हें किराया ज्यादा देना होता है। साल 2014 में ओला ने गोवा में अपनी लॉन्चिंग का प्रयास भी किया था, लेकिन वहां की मजबूत टैक्सी यूनियनों की हड़ताल के कारण सरकार को ऐप पर प्रतिबंध लगाने पर मजबूर होना पड़ा था।
महंगाई भी है प्रमुख कारण
गोवा में टैक्सी के अलावा, होटल, खाना आदि भी काफी महंगा है। नवंबर से फरवरी के बीच यहां कीमतें तीन गुना बढ़ जाती है। ऐसे में विदेशी पर्यटकों को यहां आना काफी महंगा सौदा साबित होने लगा है। यह स्थित आगे और बिगड़ सकती है।
भू-राजनीतिक कारक भी है जिम्मेदार
रिपोर्ट के अनुसार, रूस-यूक्रेन संघर्ष तथा इजरायल और फिलिस्तीन के बीच अशांति के कारण इन क्षेत्रों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है। पहले गोवा में रूस से प्रतिदिन करीब 5 चार्टर उड़ानें आती थीं, लेकिन अब प्रति सप्ताह कुछ ही उड़ानें आती हैं। इसी प्रकार, इजरायली-हमास युद्ध के कारण वहां से आने वाली अधिकतर उड़ानें भी निलंबित कर दी गई है। ऐसे में पर्यटक चाहकर भी नहीं पहुंच पा रहे हैं।
गोवा की जगह थाईलैंड की ओर मुड़ रहे पर्यटक
कई भारतीय पर्यटकों का कहना है कि वो अब गोवा जाने के बजाए दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में जाना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं। इन देशों में थाईलैंड, कम्बोडिया, वियतनाम जैसी जगह शामिल हैं। एक पर्यटक का कहना है कि कई लोग अब गोवा को ओवर टूरिज्म प्लेस समझने लगे हैं। दूसरी ओर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में खर्चा कम आता है, बेहतर ट्रांसपोर्ट मिलता है और काफी कुछ नया देखने को भी मिलता है।