टूलकिट मामला: दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद दो और कार्यकर्ताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
क्या है खबर?
पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद अब दो और कार्यकर्ताओं के खिलाफ किसान आंदोलन से संबंधित टूलकिट मामले में गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं।
निकिता जैकब और शांतनु के खिलाफ ये वारंट जारी किए गए हैं और उन पर खालिस्तानी समर्थकों के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया है।
पेशे से वकील जैकब ने मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका डाली है और पुलिस की बलपूर्वक कार्रवाई से संरक्षण मांगा है।
आरोप
दिल्ली पुलिस का दावा- खालिस्तानी तत्वों के सीधे संपर्क में थे जैकब और शांतनु
दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि स्पेशल सेल की साइबर यूनिट ने जैकब और शांतनु को टूलकिट मामले में लिप्त पाया है और जल्द ही उनकी गिरफ्तार की जाएगी।
पुलिस ने कहा, "वे खालिस्तानी समर्थक तत्वों के सीधे संपर्क में थे और टूलकिट के अन्य निर्माताओं के साथ मिलकर करीबी से काम किया।"
पुलिस के अनुसार, खालिस्तानी संगठन पोएटिक जस्टिक फाउंडेशन ने गणतंत्र दिवस से पहले "ट्वीट का तूफान" आयोजित करने के लिए जैकब से संपर्क किया था।
विवाद
दिशा रवि की गिरफ्तारी के कारण विवादों में है मामला
ये गिरफ्तारी वारंट ऐसे समय पर जारी किए गए हैं जब मामले में बेंगलुरू की 21 वर्षीय छात्रा दिशा रवि की गिरफ्तारी पहले से विवादों का कारण बनी हुई है।
दिल्ली पुलिस ने दिशा को शनिवार शाम गिरफ्तार किया था और रविवार को पटियाला कोर्ट ने उन्हें पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया।
पुलिस का आरोप है कि दिशा टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट की एडिटर है और टूलकिट को बनाने और इसे फैलाने में एक मुख्य साजिशकर्ता है।
आरोप
पुलिस ने दिशा पर लगाए ये आरोप
पुलिस का आरोप है कि दिशा ने मामले में एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया था और टूलकिट का मसौदा तैयार करने के लिए उसने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर करीबी से काम किया।
पुलिस के अनुसार, दिशा ने ही स्वीडन की जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के साथ टूलकिट शेयर की थी।
पुलिस ने दिशा पर भारतीय राष्ट्र के खिलाफ असंतोष फैलाने के लिए खालिस्तानी समर्थक पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ मिलकर काम करने का भी आरोप लगाया है।
पृष्ठभूमि
ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट से शुरू हुआ था पूरा मामला
दुनियाभर में प्रसिद्ध जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने 3 फरवरी को भारत में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने के बाद इससे संबंधित एक टूलकिट भी साझा की थी।
इसमें लोगों को किसान आंदोलन के कारणों के बारे में बताया गया था और उन्हें भारी संख्या में किसान आंदोलन में शामिल होने और इससे जुड़े फोटो-वीडियो शेयर करने को कहा गया था।
इसके अलावा इसमें भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन का अनुरोध भी किया गया था।
आरोप
पुलिस ने टूलकिट को बताया भारत को बदनाम करने की साजिश
दिल्ली पुलिस ने इस टूलकिट को "भारत को बदनाम" करने की साजिश बताते हुए 4 फरवरी को टूलकिट बनाने वाले लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
पुलिस ने इसे भारत के खिलाफ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय युद्ध छेड़ने की साजिश बताया था।
पुलिस ने अपनी शुरूआत जांच के बाद टूलकिट बनाने के पीछे कनाडा के 'पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन' का हाथ होने की बात भी कही थी। पुलिस ने इस संगठन को खालिस्तान समर्थक बताया है।