विदेशों में सुरक्षित नहीं भारतीय छात्र, 6 साल में 403 छात्रों की गई जान
विदेश में पढ़ाई करने जा रहे भारतीय छात्र सुरक्षित नहीं हैं। 2018 के बाद से अब तक विदेशों में 403 भारतीय छात्रों की मौत हो गई है। छात्रों की मौत के पीछे हादसे, प्राकृतिक मौत और बीमारी को वजह बताया गया है। सबसे ज्यादा 91 छात्रों की मौत कनाडा में हुई है। इसके बाद ब्रिटेन में 48 छात्रों की जान गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में यह जानकारी दी है।
किस देश में कितने छात्रों की हुई मौत?
इस मामले में तीसरे नंबर पर रूस है। यहां 2018 से अब तक 40 छात्रों की मौत हुई है। इसके बाद अमेरिका में 36, ऑस्ट्रेलिया में 35, यूक्रेन में 21 और जर्मनी में 20 भारतीय छात्रों की बीते 6 साल में मौत हुई है। इसके अलावा साइप्रस में 14 फिलीपींस और इटली में 10-10, कतर-चीन और किर्गिस्तान में 9-9 भारतीय छात्र मौत का शिकार हुए हैं। ताइवान में भी 6 छात्रों की मौत हुई है।
मामले पर क्या बोले विदेश मंत्री?
जयशंकर ने कहा कि विदेश में भारतीय छात्रों का कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से है। उन्होंने कहा, "विदेश में भारतीय मिशन/पोस्ट छात्रों के सामने आने वाले किसी भी मुद्दे पर प्राथमिकता के आधार पर प्रतिक्रिया देते हैं। छात्रों से प्राप्त शिकायत को अपेक्षित कार्रवाई के लिए संबंधित विश्वविद्यालयों और मेजबान सरकार के समक्ष उठाया जाता है। आपातकालीन स्थितियों में हमारे मिशन छात्रों को भोजन, आश्रय, दवा और भारत वापसी मार्ग प्रदान करने में मदद करते हैं।"
अमेरिका में एक महीने में 4 भारतीय छात्रों की मौत
अमेरिका में बीते एक महीने में 4 भारतीय छात्रों की मौत हुई है। हाल ही में ओहियो में 19 साल के छात्र श्रेयस रेड्डी बेनिगेरी की संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई थी। इससे कुछ दिन पहले पर्ड्यू विश्वविद्यालय में भारतीय मूल के छात्र नील आचार्य का शव मिला था। जॉर्जिया में भी विवेक सैनी नाम के एक भारतीय छात्र की हत्या कर दी गई थी। इसी महीने 18 साल के छात्र अकुल बी धवन का भी शव मिला था।
न्यूजबाइट्स प्लस
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 2022 में विदेशों में 13.24 लाख भारतीय छात्र थे। 2019 में 5.8 लाख भारतीय पढ़ाई के लिए विदेश गए थे, वहीं 2021 में यह संख्या 4.4 लाख और 2020 में 2.59 लाख थी। लाखों की संख्या में भारतीय छात्र अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया पढ़ने जाते हैं। इनमें से ज्यादातर छात्र विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) विषयों में मास्टर्स की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं।