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#NewsBytesExclusive: फिल्मी दुनिया में सुनीता रजवार के सफर पर खास बातचीत
एक बार फिर OTT पर क्रांति लाएंगी सुनीता रजवार

#NewsBytesExclusive: फिल्मी दुनिया में सुनीता रजवार के सफर पर खास बातचीत

Aug 20, 2022
06:14 pm

क्या है खबर?

थिएटर से लेकर छोटे पर्दे और फिल्मों से लेकर OTT तक अपनी अदाकारी का जलवा बिखेर चुकीं अभिनेत्री सुनीता रजवार आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। खासतौर पर 'गुल्लक' और 'पंचायत 2' जैसी सफल वेब सीरीज से दर्शकों को अपना मुरीद बनाने वाली सुनीता जल्द ही कई फिल्मों और सीरीज में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगी। हाल ही में उन्होंने अपने करियर और बॉलीवुड में अपने सफरनामा पर न्यूजबाइट्स से बातें कीं। जानिए उन्होंने क्या कुछ बताया।

शुरुआत

अभिनय की दुनिया में सफर कब और कैसे शुरू हुआ?

मेरे परिवार में शुरू से ही कलात्मक माहौल रहा। जहां फिल्मों की दीवानगी मेरे पिता के सिर चढ़कर बोलती थी, वहीं मेरी मां लिखने की बेहद शौकीन रहीं। शायद इसलिए मेरे अंदर एक एक्टर बनने की इच्छा जागी। हालांकि, मेरी दिलचस्पी डांस में थी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों की शादी में मुझे डांस करने के लिए बुलाया जाता था। एक्टर बनने का इरादा कभी नहीं था। हालांकि, नाटक करने का बड़ा मन करता था, लेकिन हल्द्वानी में ऐसा माहौल नहीं था।

आगाज

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में एंट्री कैसे हुई?

मैं MA करने नैनीताल गई थी। वहां कॉलेज के सालाना समारोह में मैंने डांस किया। नैनीताल में युगमंच नाम का एक बहुत पुराना और अकेला थिएटर ग्रुप है। NSD के स्टूडेंट निर्मल पांडे एक नाटक पर काम कर रहे थे, जिसमें उन्होंने मुझे दासी का किरदार दिया। मैं सातवें आसमान पर थी, क्योंकि मुझे दिल्ली जाकर नाटक करने का मौका मिल रहा था। निर्मल पांडे मेरी प्रतिभा से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने ही मुझे NSD की राह दिखाई।

मील का पत्थर

क्या OTT से आपके करियर को एक नई दिशा मिली?

मैं बेशक OTT को अपने करियर का टर्निंग पॉइंट मानती हूं। मैं 2000 में मुंबई आई थी। चकाचौंध की इस दुनिया से मैं कोसों दूर थी। मेरे अंदर वो आत्मविश्वास नहीं था। मेरे लुक के हिसाब से मुझे बार-बार मेड या गरीब के किरदार ही मिलते थे। जब आप छोटे-मोटे किरदार करते हैं तो दर्शक आपको उतनी तरजीह नहीं देते। OTT पर आने के बाद मुझे लोगों का खूब प्यार और सम्मान मिला है। अब मेरी पूछ-परख बढ़ गई है।

पंचायत 3

'पंचायत' का तीसरा सीजन कब आएगा?

सुनीता से जब हिट कॉमेडी ड्रामा सीरीज 'पंचायत' के तीसरे सीजन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी तीसरे सीजन की कहानी लिखी जा रही है। कलाकारों से डेट्स मिलने के बाद शूटिंग शुरू होगी। सुनीता की मानें तो तीसरा सीजन अगले साल दर्शकों के बीच आएगा। 'पंचायत 2' में सुनीता ने क्रांति देवी का दमदार किरदार इतनी शिद्दत से निभाया था कि दर्शक उन्हें उनके असली नाम से कहीं ज्यादा उनके किरदार के नाम से जानने लगे।

आगामी प्रोजेक्ट

आपके आने वाले दूसरे प्रोजेक्ट्स कौन से हैं?

मैंने अनुराग कश्यप के असिस्टेंट प्रतीक अभिनव संग 'सब मोह माया' नाम की फिल्म की है, जो इस महीने के अंत या अगले महीने आ सकती है। दूसरी फिल्म है 'झांसी का राजा', जिसका नाम बदला जा सकता है, वहीं फिल्म 'आंछी' 25 अगस्त को आ रही है। यह कोरोना महामारी के दौरान बनी एक मजेदार फिल्म है, जो आपको हंसने पर मजबूर कर देगी। इसके अलावा मेरी वेब सीरीज 'जेल नंबर 6' और 'द रेलवे मैन' आने वाली है।

दोहराव

क्या आप किरदारों में दोहराव से नहीं बचतीं?

एक कलाकार की ख्वाहिश तो काफी कुछ करने की होती है, लेकिन सबसे अहम बात होती है उसकी परिस्थिति। मैं मायानगरी में पूरी तरह से अकेली थी। पसंद या नापसंद तो वो करता है, जिसके पास विकल्प होते हैं। एक ही तरह के रोल करना मेरे लिए मजबूरी थी। अपनी रोजी-रोटी की खातिर मैंने हर वो काम किया, जो मेरे पास आया। असिस्टेंट डायरेक्टर और राइटर बनने के अलावा मैंने मसाबा गुप्ता की मैनेजर के तौर पर भी काम किया।

बदलाव

एक्टर बनने से पहले और अब की जिंदगी में कितना बदलाव आया?

मेरी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया है, क्योंकि मैं एक आम महिला की तरह जीवन जीती हूं। आज भी ऑटो और लोकल ट्रेन में सफर करती हूं। सब्जी खरीदने जाती हूं। बर्तन धोने से लेकर झाड़ू-पोछा तक अपने घर के सारे काम खुद करती हूं। आज भी बेबाकी से बोलती हूं। मेरे लिए मेरा पेशा काफी सामान्य है। मैं इसे तोप नहीं मानती। एक एक्टर इंसान ही होता है। स्टार का तबका तो उसे दर्शकों से मिलता है।

दबाव

क्या बॉलीवुड में कलाकारों पर सच ना बोलने का दबाव होता है?

कोई भी एक्टर अपने दर्शकों से ही चलता है। उसे दर्शकों को खुश रखना पड़ता है। वह अपने मन की बात कहने से बचता है, क्योंकि उसे पता है कि उसकी बात का बतंगड़ बन जाएगा। हर किसी का अपना नजरिया होता है। जरूरी नहीं कि आप जो कहें, वो दूसरे को पसंद आए। बहुत से कलाकार बोलने से परहेज करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि वे कुछ भी कहेंगे तो उन्हें ट्रोल या बैन कर दिया जाएगा।

माध्यम

आप थिएटर, टीवी, फिल्म और OTT, किस माध्यम से सबसे ज्यादा जुड़ाव महसूस करती हैं?

जो भी थिएटर आर्टिस्ट फिल्मों में आता है, उसे थिएटर ही सबसे ज्यादा पसंद आता है, क्योंकि थिएटर में एक अलग आकर्षण होता है। रोज रियाज करते हैं। नए प्रयोग होते हैं। हर दिन अलग दर्शक होते हैं और हर किसी की प्रतिक्रिया अलग होती है। जब हम फिल्म, सीरियल या सीरीज करते हैं तो एक्टिंग कैमरे और दूसरों के हिसाब से करनी पड़ती है, जबकि थिएटर में ऐसा नहीं है। थिएटर करने का अपना एक अलग ही मजा है।

अनुभव

आयुष्मान खुराना के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

मैंने आयुष्मान खुराना संग 'बाला' और 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' में काम किया था। वह जमीन से जुड़े हुए कलाकार हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव शानदार रहा। वह एक बेहतरीन कलाकार हैं। शूटिंग के बीच हम सेट पर खूब हंसी मजाक करते थे। एकसाथ खाना खाते थे। आयुष्मान के साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। ऐसा बिल्कुल नहीं था कि वह शॉट्स देते वक्त नखरे दिखा रहे हों। वह पूरी टीम के साथ मिलकर चलते हैं।