कंगना रनौत संसद परिसर में करना चाहती हैं फिल्म 'इमरजेंसी' की शूटिंग, मांगी मंजूरी
अदाकारा कंगना रनौत अक्सर अपने बेबाक बयानों की वजह से चर्चा में रहती हैं। पिछले लंबे वक्त से कंगना अपनी अपकमिंग फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर सुर्खियां बटोर रही हैं। फैंस ब्रेसबी से उनकी इस फिल्म का इंतजार कर रहे है। फिल्म 'इमरजेंसी' को लेकर हर दिन कोई न कोई बड़ा अपडेट सामने आ जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब कंगना ने संसद परिसर के अंदर अपनी फिल्म 'इमरजेंसी' की शूटिंग के लिए लोकसभा सचिवालय से मंजूरी मांगी है।
कंगना ने 'इमरजेंसी' की शूटिंग के लिए मांगी इजाजत
लोकसभा सचिवालय को लिखे पत्र में कंगना ने अपील की है कि उन्हें संसद में 'इमरजेंसी' की शूटिंग करने की इजाजत दी जाए। हालांकि, उन्हें अनुमति मिलने की संभावना नहीं है। दरअसल, निजी संस्थाओं को संसद के अंदर शूटिंग या वीडियो बनाने की इजाजत नहीं दी जाती है। सूत्रों ने बताया कि किसी आधिकारिक या सरकारी काम के लिए शूटिंग की जा रही हो तो अलग बात है, लेकिन किसी व्यावसायिक कामों के लिए ऐसी अनुमति नहीं दी जाती।
शूटिंग या वीडियो बनाने की नहीं दी जाती इजाजत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य रूप से सरकारी प्रसारक दूरदर्शन और संसद टीवी को संसद के अंदर कार्यक्रमों की शूटिंग करने की इजाजत दी जाती है। किसी निजी व्यक्ति या संस्था को संसद के अंदर निजी काम की शूटिंग करने की इजाजत दिए जाने की कोई मिसाल अभी तक नहीं है। बता दे, कंगना रनौत के निर्देशन में बन रही ये फिल्म 'इमरजेंसी' की शूटिंग इस साल जून में शुरू हुई है।
फिल्म में ये कलाकार आएंगे नजर
अभिनेत्री कंगना रनौत इस फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के किरदार में नजर आएंगी। फिल्म की कहानी साल 1975 में थोपी गई इमरजेंसी पर आधारित है। आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास पर काले धब्बे के तौर पर देखा जाता है। कंगना रनौत के साथ इस फिल्म में अनुपम खेर, श्रेयष तलपड़े, मिलिंद सोमन, विशाक नायर और महिमा चौधरी जैसे सितारे भी अहम भूमिका में नजर आने वाले हैं।
इंदिरा गांधी ने 21 महीने के लिए लगाया था आपातकाल
कंगना रनौत ने एक बयान में कहा था, "आपातकाल भारतीय राजनीतिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दौरों में से एक को दर्शाता है, जिसने सत्ता को देखने के हमारे तरीके को बदल दिया और इसलिए मैंने इस कहानी को बताने का फैसला किया।" बता दें कि इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक आपातकाल लगाया था। 21 महीने की अवधि के दौरान लोगों के मौलिक अधिकारों को कड़े प्रतिबंधों के तहत रखा गया था।