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IFFI और ऑस्कर में नहीं मिली 'फुले' को जगह, भड़के निर्देशक ने 'होमबाउंड' पर कसा तंज
IFFI और ऑस्कर से 'फुले' की बहिष्कार पर निर्देशक अनंत महादेवन का गुस्सा

IFFI और ऑस्कर में नहीं मिली 'फुले' को जगह, भड़के निर्देशक ने 'होमबाउंड' पर कसा तंज

Nov 20, 2025
05:07 pm

क्या है खबर?

फिल्म 'फुले' को इस साल के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) और ऑस्कर रेस से बाहर कर दिया गया। समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई के जीवन पर आधारित इस फिल्म को समीक्षकों ने सराहा था। वो बात अलग है कि बॉक्स ऑफिस पर ये फेल हो गई। हाल ही में निर्देशक अनंत महादेवन ने फिल्म ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और इसे इंडस्ट्री का साइलेंट बायकॉट करार दिया। क्या बोले निर्देशक, आइए जानते हैं।

निराशा

निर्देशक ने जताई निराशा

किसी फिल्म का इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में दिखना बहुत गर्व की बात होती है। फिल्ममेकर अनंत महादेवन भी अपनी फिल्म 'फुले' के साथ यही अनुभव करना चाहते थे, लेकिन जब इसे फिल्म महोत्सव में जगह नहीं मिली तो वो बहुत निराश हुए। उन्होंने गुस्सा और निराशा जाहिर करते हुए कहा, "एक सरकारी फेस्टिवल जैसे IFFI ने 'फुले' को नजरअंदाज किया, जबकि ये फिल्म ईमानदार है और कलाकारों ने कमाल का काम किया है।"

दुख

"फुले को नजरअंदाज कर होमबाउंड को मिल गया मौका"

फिल्म 25 अप्रैल को रिलीज हुई थी और दिखाती है कि कैसे फुले और सावित्रीबाई ने 19वीं सदी में जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और महिलाओं की शिक्षा के लिए काम किया। निर्देशक को इससे भी ज्यादा दुख इस बात का है कि उनकी फिल्म को चुपचाप से नजरअंदाज किया गया, जबकि दूसरी फिल्म 'होमबाउंड', जो आज के समय में जातिवाद पर बनी है, उसे ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक एंट्री चुना गया।

दो टूक

इतनी अच्छी फिल्म बायकॉट का शिकार हो गई- अनंत

अनंत ने कहा कि 'फुले' को ऑस्कर के लिए भी नहीं चुना गया,जबकि ये फिल्म भारत में हुई असली जाति क्रांति की कहानी है। वो बोले कि उन्होंने 'होमबाउंड' नहीं देखी, लेकिन पता है कि ये मौजूदा वक्त में जाति-भेदभाव पर बनी है। निर्देशक के मुताबिक 'फुले' जैसी फिल्म, जिसमें अच्छे कलाकार हैं और विषय आज के समय से जुड़ा है, फिर भी इसे नजरअंदाज किया जाना बहुत दुखद है। उन्हें लगता है कि इसे चुपचाप बायकॉट किया गया।

सवाल

निर्देशक ने उठाया ये सवाल

अनंत बोले, "अगर मेरी फिल्म 'फुले' कमजोर या खराब होती तो इसका चुना न जाना समझ में आता, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। उनकी फिल्म अच्छी है, कलाकारों का प्रदर्शन शानदार है और विषय भी महत्वपूर्ण है, इसलिए IFFI में जिन फिल्मों को चुना गया है, उन्हें देखकर निराशा हो रही है। इंडियन पैनोरमा सेक्शन में कुल 26 फिल्में चुनी जाती हैं। क्या ये उन 26 फिल्मों की सूची में भी शामिल होने के लायक भी नहीं थी?"

जानकारी

'फुले' में नजर आए थे पत्रलेखा और प्रतीक गांधी

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके अनंत नारायण महादेवन की 'फुले' में समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई के जाति और लैंगिक अन्याय को लेकर किए गए संघर्ष को दिखाया गया है। फिल्म में प्रतीक गांधी, ज्योतिराव तो पत्रलेखा सावित्रीबाई के किरदार में दिखे थे।