राष्ट्रीय गणित दिवस: गणितज्ञ रामानुजन के बारे में ऐसी बातें जो कम ही लोग जानते होंगे
जहां एक तरफ गणित कई छात्रों के लिए कठिन विषय होता है तो वहीं दूसरी तरफ गणित कुछ छात्रों के लिए उनका पसंदीदा विषय होता है। आप सोच रहे होंगे कि हम इस बारे में क्यों बात कर रहें हैं। क्योंकि आज यानी कि 22 दिसंबर को 'राष्ट्रीय गणित दिवस' (National Mathematics Day) के रूप में मनाया जाता है। आइये जानते हैं कि क्यों आज का दिन हर साल राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है गणित दिवस
22 दिसंबर को महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की जयंती होती है, जिसे पूरे देश में राष्ट्रीय गणित दिवस के रुप में मनाते हैं। रामानुजन का जन्म तमिलनाडु के इरोड में 1887 में हुआ था। उनका परिवार उनके जन्म के बाद कुंबकोणम स्थानांतरित हो गए थे। अब उनके घर को श्रीनिवास रामानुजन अंतर्राष्ट्रीय स्मारक के रूप में बनाए रखा गया है। उन्होंने 1909 में सिर्फ 9 साल की जानकी अम्मल से शादी की थी।
असामान्य प्रदर्शन के कारण छात्रवृत्ति सम्मान खोया
उन्हें गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज, कुंभकोणम में छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया था, लेकिन अंत में उन्होंने इस सम्मान को खो दिया। जिसका कारण अन्य विषयों में उनका असामान्य प्रदर्शन बताया गया।
लगभग 3,000 प्रमेय साबित की
उन्हें अपने समय के महानतम गणितज्ञों में से एक माना जाता है, लेकिन रामानुजन के पास गणित की कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं थी। अगर हम गणित में उनके योगदान की बात करें तो 12 साल की उम्र में ही उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी। संख्या और प्रमेयों के साथ उनका आकर्षण बहुत कम उम्र में ही शुरू हुआ और उन्होंने अपने जीवनकाल में 3,000 से भी अधिक प्रमेय और समीकरणों को साबित किया।
विचारों को हरी स्याही से नोटबुक में लिखते थे
जानकारी के मुताबिक रामानुजन अपने विचारों को हरी स्याही से नोटबुक में लिखते थे। 1976 में उनकी एक नोटबुक 'लोस्ट नोटबुक' गणितज्ञ जॉर्ज एंड्रयूज द्वारा ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में पायी गयी, बाद में इसे एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था। रामानुजन के जीवन की कहानी बताने के लिए चेन्नई में एक संग्रहालय भी बनाया गया है और इसमें उनके घर और परिवार की कई तस्वीरों के साथ दोस्तों, रिश्तेदारों आदि के पत्र भी हैं।