UGC ने कुलपतियों से कहा- महिला छात्रों को दी जाए मैटरनिटी लीव, अटेंडेंस में मिले छूट
क्या है खबर?
अब स्नातक और स्नातकोत्तर की छात्राओं को गर्भवती होने के कारण पढ़ाई नहीं छोड़नी पड़ेगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने अहम फैसला लेते हुए स्नातक और स्नातकोत्तर की छात्राओं को मैटरनिटी लीव देने के दिशानिर्देश जारी किए हैं।
UGC के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर सूचित किया है कि अगर स्नातक और स्नातकोत्तर की कोई छात्रा मां बनने वाली होगी तो उसे अटेंडेंस, परीक्षा आवेदन पत्र और समय सीमा में छूट दी जाए।
सुविधा
अब तक MPhil और PhD की छात्राओं को मिलती थी यह सुविधा
UGC के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन ने 14 दिसंबर, 2021 को कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा कि आयोग (M.Phil और PhD की डिग्री देने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया) विनियम, 2016 में एक प्रावधान है, जिसमें कहा गया है कि "महिला उम्मीदवारों को मास्टर ऑफ फिलॉसफी (MPhil) और डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) की पूरी अवधि में एक बार मैटरनिटी लीव या बच्चे की देखभाल के लिए 240 दिन का अवकाश दिया जा सकता है।"
नियम
मैटरनिटी लीव देने के लिए उचित नियम तैयार करें विश्वविद्यालय- UGC
UGC ने नोटिस में आगे कहा है, "सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) से अनुरोध है कि वह अपने संस्थानों और संबद्ध कॉलेजों में महिला छात्रों को मैटरनिटी लीव देने के संबंध में उचित नियम एवं मानदंड तैयार करें और अटेंडेंस, परीक्षा प्रपत्र जमा कराने की तिथि में विस्तार या स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रम करने वाली महिला छात्रों के लिए आवश्यक समझी जाने वाली संबंधी सभी राहत और छूट मुहैया कराएं।"
छात्र
केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों से कितने छात्र करते हैं PhD?
2019 में शिक्षा मंत्रालय ने PhD में एडमिशन लेने वाले छात्रों को लेकर रिपोर्ट जारी की था।
2017 में देश में कुल रिसर्च करने वालों में से 14.31 प्रतिशत ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों से PhD की थी, वहीं 13.41 प्रतिशत छात्रों ने प्राइवेट विश्वविद्यालयों से और 33.59 प्रतिशत ने राज्य विश्वविद्यालयों से PhD की थी।
इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) और इस तरह के दूसरे इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस जैसे संस्थानों से 21 प्रतिशत छात्र PhD करते हैं।
पढ़ाई
शहर बदलने के बाद नहीं छोड़नी पड़ेगी MPhil या PhD की पढ़ाई
MPhil और PhD कर रही छात्राएं शादी के बाद ससुराल जाने और शहर बदलने आदि के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। इस परेशानी को देखते हुए तत्कालीन शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी ने इस नियम में बदलाव किया था।
इसके तहत यदि महिला छात्र आधा पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद शहर बदले तो उसे अन्य विश्वविद्यालय में नए सिरे से दाखिला नहीं लेना होगा और वही पाठ्यक्रम जारी रहेगा।