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    जानें राजेश ने कैसे तय किया ब्रेड बेचने वाले से IAS अधिकारी बनने तक का सफर

    जानें राजेश ने कैसे तय किया ब्रेड बेचने वाले से IAS अधिकारी बनने तक का सफर

    लेखन मोना दीक्षित
    Jun 03, 2019
    05:38 pm

    क्या है खबर?

    आपकी मेहनत आपको वो सब दिला सकती है, जो आप पाना चाहते हैं।

    जहां कुछ दिनों पहले एक लड़के को ब्रेड बेचते हुए देखा गया, वहीं कुछ दिनों बाद उसे एक IAS अधिकारी के पद पर काम करते देख लोग आश्चर्यचकित रह गए।

    हम बात कर रहें हैं 'Maa I've become a Collector' किताब के लेखक और एक प्रतिष्तिठ IAS अधिकारी राजेश प्रभाकर पाटिल की।

    आज इस लेख में हम आपको राजेश के सफर के बारे में बताने वाले हैं।

    शुरुआत

    पढ़ाई करने के लिए बैची ब्रेड

    2005 बैच के IAS अधिकारी पाटिल अपने अध्ययन के खर्चों को पूरा करने के लिए अपने स्कूल दिनों मे ताज़ा ब्रेड बेचने का काम किया करते थे।

    राजेश ने UPSC रिजल्ट घोषित होने पर अंतिम सूची में अपना नाम ढूंढने के बाद अपनी माँ को फोन करके कहा था, "मां, मैं एक कलेक्टर बन गया हूं।"

    उनके द्वारा लिखी गई किताब का शीर्षक भी उन्होंने यही रखा।

    मराठी में लिखी गई यह पुस्तक पाटिल की 224 पृष्ठों की आत्मकथा है।

    'कलेक्टर की माँ'

    बचपन में अपनी माँ को 'कलेक्टर की माँ' कहते थे राजेश

    द बेटर इंडिया को दिए गए इंटरव्यू में राजेश ने बताया, "जब मैं एक बच्चा था, तो मैं अक्सर अपनी माँ को 'कलेक्टर की माँ' कहता था। मेरे दिल में मुझे पता था कि एक दिन वे शब्द सच हो जाएंगे।"

    अपने माता-पिता के कंधों पर भार कम करने के लिए राजेश को अपने स्नातक दिनों तक सभी प्रकार के कृषि श्रम करने के साथ-साथ एक बच्चे के रूप में ब्रैड और सब्जियां बेचना अभी तक याद है।

    बचपन

    एक शरारती बच्चे थे राजेश

    राजेश के अनुसार वह काफी शरारती बच्चा था और उसके माता-पिता अक्सर अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे।

    उनका कहना है कि वे पढ़ाई में कोई ज्यादा अच्छा नहीं थे। जब उनके कुछ दोस्तों और शिक्षकों ने उनकी मदद की तो चीजें बदल गईं। उन्हें पढ़ाई में दिलचस्पी हो गई।

    उन्होंने अपनी 10वीं की परीक्षा में काफी अच्छा किया। जिससे उन्हें एहसास हुआ कि अगर उन्होंने अपनी आत्मा लगा दी, तो वे बहुत बेहतर कर सकते हैं।

    कार्यकाल

    जिला कलेक्टर के तौर पर की कई पहल

    सन 2009 की शुरूआत में राजेश कोरापुट, कंधमाल और मयूरभंज जिलों के लिए जिला कलेक्टर के पद पर आधीन हुए।

    इस समय के दौरान राजेश आदिवासी समुदायों के सामने आने वाले मुद्दों को सुलझाने में सबसे आगे थे।

    उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत करते हुए अपने अधिकार क्षेत्र के तहत एक जिले को बाल-श्रम मुक्त बनाया।

    इसके साथ ही उन्होंने विकलांग समुदाय और अनाथ बच्चों के कल्याण के लिए काम करते हुए कई अन्य पहल की हैं।

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