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    जानें 11 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है नेशनल एजुकेशन डे

    जानें 11 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है नेशनल एजुकेशन डे

    लेखन मोना दीक्षित
    Nov 11, 2019
    11:17 am

    क्या है खबर?

    आज यानी 11 नवंबर को नेशनल एजुकेशन डे मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।

    प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण होती है। शिक्षा के आधार पर ही उनका जीवन आधारित होता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण काम किए हैं।

    नेशनल एजुकेशन डे

    आद ही के दिन क्यों मनाया जाता है नेशनल एजुकेशन डे

    आज के दिन मौलाना जी का 131वां जन्मदिन है। आज के दिन हर साल उनके द्वारा किए गए योगदानों को याद किया जाता है।

    मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को हुआ था। 11 नवंबर, 2008 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11 नवंबर को नेशनल एडुकेशन डे मनाने का फैसलै किया था।

    इसलिए उसके बाद से हर साल 11 नवंबर को नेशनल एडुकेशन डे के रुप में मनाया जाता है।

    योगदान

    शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

    मौलाना ने भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने के बाद फ्री शिक्षा प्रदान की थी। इसके साथ ही उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अत्यधिक के साथ कार्य किया था।

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' (IIT) और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (UGC) की स्थापना भी मौलाना ने ही की थी।

    साथ ही उन्होंने संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी और ललित कला अकादमी की स्थापना भी की थी।

    जानकारी

    भारत रत्न से किया गया सम्मानित

    मौलाना को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनका मानना था कि बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देनी चाहिए। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर भी जोर दिया था। इस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में उनके कई योगदान हैं।

    बयान

    स्कूल हैं प्रयोगशालाएं

    मौलाना का कहना था कि स्कूल वो प्रयोगशालाएं हैं, जो देश के भविष्य के नागरिकों को प्रोड्यूस करती हैं।

    शिक्षा के प्राथमिक उद्देश्य के बारे में मौलाना स्पष्ट थे। केंद्रीय सलाहकार बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CBSE) की पहली बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी सिस्टम का प्राथमिक उद्देश्य एक संतुलित दिमाग बनाना है, जिसको गुमराह नहीं किया जा सकता हो।

    पहले राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के समारोह का उद्घाटन भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने किया था।

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