अगर हाई कोर्ट के जज बनना चाहते हैं तो ऐसे करें अपने सपने को साकार
लॉ की पढ़ाई करने वाले ज्यादातर छात्र हाई कोर्ट के जज के पद पर नियुक्त होने का सपना देखते हैं। आज के समय में ज्यादातर युवा एक ऐसा करियर विकल्प चुनना चाहते हैं, जिसमें वे अच्छा भविष्य बना सकें। एक न्यायाधीश (जज) के पद पर काम करना बहुत ही जिम्मेदारी का काम होता है और ये देश के प्रतिष्ठित पदों में से एक है। आइए जानें कैसे बनें हाई कोर्ट के न्यायाधीश।
क्या होता है एक न्यायाधीश का काम?
एक न्यायाधीश का काम अदालत की सुनवाई और परीक्षण की अध्यक्षता करना, कानूनी कार्यवाही की निगरानी करना और कानूनी प्रक्रिया में शामिल व्यक्तियों के अधिकारों को बरकरार रखना आदि होता है। वे नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार ही किसी फैसले पर आते हैं। वे कोई भी फैसला लेने से पहले देखते हैं कि गवाही कैसे दी गई है और सबूत कौन से पेश किए गए हैं। गैर-जूरी आपराधिक परीक्षणों में न्यायाधीश आरोपी के अपराध या निर्दोषता का फैसला करते हैं।
क्या होनी चाहिए पात्रता?
किसी भी पद पर नियुक्त होने के लिए एक तय पात्रता होती है, जिसको पूरा करने के बाद आप उस पद के लिए योग्य माने जाते हैं। हाई कोर्ट का जज बनने के लिए उम्मीदवारों को भारत का नागरिक होना अनिवार्य है। इसके साथ ही वो कम से कम 10 साल तक स्टेट सबऑर्डिनेट कोर्ट के जज के पद पर कर्यारत रहे हों या वकील रहे हों। हाई कोर्ट के जज के लिए कोई न्यूनतम आयु निर्धारित नहीं है।
प्राप्त करें एक डिग्री
हाई कोर्ट का जज बनने के लिए आपको सबसे पहले स्नातक की डिग्री लेनी होगी। बिना स्नातक किए आप इसके लिए पात्र नहीं माने जाएंगे। आप बैचलर ऑफ लॉ (LLB) कर सकते हैं। आप किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं पास करने के बाद बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। इसके बाद सबऑर्डिनेट कोर्ट जज बनने के लिए आपको ज्यूडिशियल सर्विस एग्जामिनेशन को पास करना होगा।
इन स्किल्स का होना है जरुरी
एक अच्छा जज बनने के लिए आपमें कई स्किल्स का होना जरुरी है। आपमें सही फैसले लेने के लिए अच्छी समझ का होना बहुत जरुरी है। साथ ही आपको लॉ के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए। आपमें इंटरपर्सनल स्किल भी होनी चाहिए।