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1 साल में ग्रेच्युटी, मुफ्त स्वास्थ्य जांच और सामाजिक सुरक्षा; नए श्रम कानूनों से क्या बदलेगा?
सरकार ने 4 नए श्रम कानून लागू किए हैं

1 साल में ग्रेच्युटी, मुफ्त स्वास्थ्य जांच और सामाजिक सुरक्षा; नए श्रम कानूनों से क्या बदलेगा?

लेखन आबिद खान
Nov 22, 2025
05:55 pm

क्या है खबर?

केंद्र सरकार ने देश के श्रमिकों को बड़ी सौगात देते हुए 21 नवंबर से 4 नए श्रम कानूनों को लागू कर दिया है। पहले के 29 अलग-अलग श्रम कानूनों को संशोधित कर ये 4 नए बदलाव लागू किए गए हैं। इसका फायदा देश के करोड़ों श्रमिकों को होगा। सरकार का कहना है कि ये नए कानून आधुनिक जरूरतों और अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। आइए इन कानून से होने वाले अहम बदलावों को जानते हैं।

ग्रेच्युटी

अब 5 की बजाय 1 साल में मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ

नए नियमों में ग्रेच्युटी को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। अब फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉइज (FTE) को एक साल की नौकरी पर ही ग्रेच्युटी मिलेगी। पहले ये अवधि 5 साल थी। इससे कॉन्ट्रैक्ट आधार पर काम करने वाले श्रमिकों को फायदा होगा। बता दें कि IT, विनिर्माण, स्टार्टअप और परियोजना आधारित क्षेत्रों में कॉन्ट्रैक्ट आधार पर कर्मचारियों को रखना आम है। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होते ही रोजगार भी खत्म हो जाता है।

वेतन

मूल वेतन कम होगा, PF-ग्रेच्युटी बढ़ेगी

नए नियम लागू होने के बाद कर्मचारियों का मूल वेतन उनके कुल वेतन (CTC) का कम से कम 50 प्रतिशत होना जरूरी होगा। इससे प्रॉविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी का योगदान बढ़ जाएगा, क्योंकि इनकी गणना मूल वेतन के आधार पर होती है। फिलहाल कई कंपनियां जानबूझकर मूल वेतन कम रखती हैं, ताकि PF और ग्रेच्युटी पर कम खर्च हो। हालांकि, नए कानून से कर्मचारियों की इन-हैंड सेलेरी कम हो जाएगी, क्योंकि PF और ग्रेच्युटी का हिस्सा बढ़ जाएगा।

महिलाएं

कामकाजी महिलाओं को लेकर कई अहम बदलाव

नए कानून के तहत कामकाजी महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम की अनुमति होगी। हालांकि, इसके लिए उनकी सहमति और कार्यस्थल पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होना जरूरी है। साथ ही महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन और सम्मान की गारंटी भी कानून में है। इससे कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव पर लगाम लगेगी। ट्रांसजेंडर को भी काम में बराबरी का अधिकार मिलेगा।

गिग वर्कर्स

गिग वर्कर्स को मिली कानूनी पहचान 

पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को कानूनी तौर पर परिभाषित किया गया है। उन्हें PF, बीमा, पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल सकेंगे। कंपनियों को सालाना कमाई का 1-2 प्रतिशत हिस्सा इनके कल्याण के लिए देना होगा, जो अधिकतम 5 प्रतिशत तक होगा। लाभार्थियों का यूनिवर्सल खाता नंबर (UAN) आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। इससे दूसरे राज्य के कर्मचारियों को भी पोर्टेबिलिटी के तहत फायदा मिलेगा। यानी श्रमिक किसी भी राज्य में हों, उन्हें फायदा मिलता रहेगा।

ओवरटाइम

अतिरिक्त काम के लिए दोगुना वेतन

नए कानून में ओवरटाइम को लेकर दोगुने वेतन की गारंटी दी गई है। साथ ही कुछ जगहों पर लिखित सहमति भी जरूरी होगी। ज्यादातर क्षेत्रों में काम के 8 से 12 घंटे प्रति दिन और 48 घंटे प्रति हफ्ते तक रहेंगे। 500 से ज्यादा कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में सुरक्षा समिति अनिवार्य होगी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, ऑडियो-वीडियो कर्मियों को भी वर्किंग जर्नलिस्ट और सिने वर्कर' की परिभाषा में शामिल किया गया है।

अन्य बदलाव

ये बड़े बदलाव भी हुए

अब सभी नियोक्ताओं को नियुक्ति पत्र देना जरूरी होगा। इससे मजदूरों की नौकरी का रिकॉर्ड रहेगा और वेतन में पारदर्शिता रहेगी। खतरनाक क्षेत्रों में काम कर रहे मजदूरों का हर साल मुफ्त स्वास्थ्य चेकअप कराना जरूरी होगा। 40 साल से ऊपर वाले श्रमिकों की भी साल में एक बार इसी तरह मुफ्त जांच होगी। 40 करोड़ श्रमिक सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आएंगे। वर्क फ्रॉम होम को वैध व्यवस्था माना गया है।