भारत की विकास दर को झटका, GDP घटकर 5.4 प्रतिशत पर; 18 महीने में सबसे कम
भारत में आर्थिक विकास दर को भारी झटका लगा है। लगातार दूसरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दर 18 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए भारत की GDP वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत तक गिरी है। पिछले साल इसी अवधि में यह 8.1 प्रतिशत पर थी। इससे पहले अप्रैल-जून तिमाही के लिए GDP विकास दर 6.7 प्रतिशत दर्ज हुई थी।
किन सेक्टरों में रहा बेहतर प्रदर्शन?
इस तिमाही विभिन्न सेक्टरों में प्रदर्शन को देखें तो कृषि क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, जो पिछली तिमाही में 2 प्रतिशत और एक साल पहले 1.7 प्रतिशत से बेहतर है। व्यापार, होटल और परिवहन के सेक्टर में मामूली सुधार दिखा और यह 6 प्रतिशत की वृद्धि पर पहुंच गया। पिछले साल की समान अवधि में यह 4.5 प्रतिशत था। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले साल 6.2 प्रतिशत था।
किन सेक्टरों का हाल रहा बुरा?
खनन सेक्टर में -0.1 प्रतिशत की गिरावट आई, जो पहली तिमाही में 7.2 प्रतिशत थी। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि गिरकर 2.2 प्रतिशत पर आ गई, जबकि पिछले वर्ष यह 14.3 प्रतिशत पर थी। बिजली क्षेत्र में भी वृद्धि दर पिछले वर्ष की 10.5 प्रतिशत से घटकर 3.3 प्रतिशत पर आ गई। GDP वृद्धि दर अपेक्षा से कमजोर रही, जिससे आर्थिक सुधार की स्थिरता को लेकर चिंताएं हैं। खासकर विनिर्माण और खनन जैसे प्रमुख क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
खुदरा महंगाई दर में उछाल से GDP पर पड़ा असर
GDP में गिरावट का कारण पिछले महीने खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी को माना जा रहा है। सब्जियों समेत खाने-पीने की बढ़ती कीमतों से अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर पिछले महीने के मुकाबले बढ़ गई, जो 6.21 प्रतिशत दर्ज की गई थी। यह पिछले महीने सितंबर में 5.49 प्रतिशत थी। यह दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6 प्रतिशत की सहनीय सीमा से ऊपर है। महंगाई दर अगस्त 2023 के बाद 14 महीनों में सबसे उच्च स्तर पर है।
विश्व बैंक ने विकास दर बढ़ने का जताया था अनुमान
इस साल सितंबर में विश्व बैंक ने भारत के GDP को लेकर अपने विकास दर पूर्वानुमान को संशोधित कर दिया था। बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए इसे 6.6 प्रतिशत के पूर्व अनुमान से बढ़ाकर 7 प्रतिशत किया था। पूर्व अनुमान विश्व बैंक ने जून में लगाया था। विश्व बैंक ने तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अच्छे मानसून के कारण कृषि क्षेत्र, ग्रामीण मांग और निजी खपत में सुधार के दम पर यह अनुमान लगाया था।