बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट में पूरी हिस्सेदारी बेची, वॉलमार्ट ने खरीदे शेयर
अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने कुछ समय पहले ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट की हिस्सेदारी खरीदकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ा ली थी। अब पहली बार अमेरिकी रिटेलर वॉलमार्ट ने सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) फाइलिंग में बताया कि उसने फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर बिन्नी बंसल सहित एक्सेल आदि की फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी हासिल करने के लिए लगभग 28,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इनके अलावा फ्रैंकलिन टेंपलटन और फ्लिपकार्ट के कुछ शुरुआती निवेशकों ने भी अपने शेयर वॉलमार्ट को बेचे हैं।
वॉलमार्ट ने 2018 में खरीदी थी 77 प्रतिशत हिस्सेदारी
2018 में वॉलमार्ट ने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक में फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। एक निजी बाजार डाटा प्रदाता ट्रैक्शन पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया कि फ्लिपकार्ट में वॉलमार्ट की हिस्सेदारी घटकर लगभग 75 प्रतिशत रह गई है, लेकिन अब नई डील के बाद इसकी हिस्सेदारी 5 प्रतिशत बढ़कर 80 प्रतिशत से कुछ अधिक हो गई है। टाइगर ग्लोबल ने फ्लिपकार्ट डील से लगभग 28,000 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया।
हिस्सेदारी बेचकर किसने कमाया कितना मुनाफा?
टाइगर ग्लोबल ने पहले खुलासा किया था कि उसने फ्लिपकार्ट में लगभग 10,000 करोड़ रुपेय के निवेश पर 28,000 करोड़ रुपये से अधिक कमाया। सचिन बंसल ने वर्ष 2018 में अपनी पूरी हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेच दी और लगभग 8,000 करोड़ रुपये की कमाई की थी। इसी तरह एक्सल ने फ्लिपकार्ट में अपने लगभग 500-600 करोड़ रुपये के निवेश पर 25 से 30 गुना रिटर्न प्राप्त किया। इससे फ्लिपकार्ट की वृद्धि साफ दिखती है।
फ्लिपकार्ट की प्रतिद्वंदी कंपनियां खर्चे में कर रही हैं कटौती
वॉलमार्ट के पास फ्लिपकार्ट के साथ ही भारतीय पेमेंट प्लेटफॉर्म फोनपे का भी अधिकांश हिस्सा है। वॉलमार्ट फोनपे और फ्लिपकार्ट में ऐसे समय में निवेश बढ़ा रही है, जब अमेजन सहित अन्य प्रतिद्वंदी कंपनियां अपने खर्चों में कटौती कर रही हैं। अमेजन ने अगले 7 वर्षों में भारत में अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 20,000 करोड़ रुपये से कम निवेश करने की योजना बनाई है। हालांकि, पिछले महीने वॉलमार्ट ने कहा था कि फोनपे और फ्लिपकार्ट लगातार वृद्धि कर रहे हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
वैश्विक कंपनियों के लिए भारत एक प्रमुख बाजार में के रूप में उभरा है क्योंकि वे भारत की करोड़ों जनता को अपना ग्राहक बनाने की होड़ में हैं। एक अमेरिकी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन बैरन कैपिटल ने लिखा था कि भारत नया चीन है और आने वाले दशक और उसके बाद सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। बीते कुछ समय में ऐपल जैसी कई बड़ी कंपनियों ने भी भारत में अपना निवेश बढ़ाया है।