
देश में AI इंजीनियरों की भारी कमी, हर 10 पदों पर केवल 1 इंजीनियर उपलब्ध
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग भारत में अब हर क्षेत्र में काफी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद देश में AI इंजीनियरों की भारी कमी है।
स्टाफिंग फर्म क्वेस कॉर्प की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 4.16 लाख कुशल AI पेशेवर हैं, जबकि मांग इससे लगभग दोगुनी है।
रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा टैलेंट पूल केवल 49 प्रतिशत मांग को ही पूरा कर पा रहा है, जिससे उद्योगों को नई नियुक्तियों में भारी दिक्कत आ रही है।
चुनौती
जनरेटिव AI और उभरते क्षेत्रों में और ज्यादा चुनौती
रिपोर्ट में कहा गया है कि जनरेटिव AI, मशीन लर्निंग ऑपरेशंस, क्लाउड आर्किटेक्ट्स और AI गवर्नेंस जैसे उभरते क्षेत्रों में स्थिति और गंभीर है।
CEO कपिल जोशी के मुताबिक, मार्च, 2024 से 2025 के बीच AI और डाटा स्किल्स की मांग 45 प्रतिशत बढ़ी है, लेकिन जनरेटिव AI जैसे क्षेत्रों में हर 10 नौकरियों के लिए केवल एक योग्य व्यक्ति ही मौजूद है।
कंपनियां इन्हीं कारणों से ऐसे उम्मीदवारों को 15-20 प्रतिशत ज्यादा वेतन दे रही हैं।
मांग
वैश्विक केंद्रों से बढ़ी देश में मांग
भारत में AI की मांग बढ़ाने में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) की भूमिका अहम रही है।
ये अब सिर्फ बैकएंड काम तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जनरेटिव AI प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं और वैश्विक कंपनियों के लिए गवर्नेंस ढांचे भी बना रहे हैं।
रिपोर्ट बताती है कि GCC, सिस्टम इंटीग्रेटर्स और प्रोडक्ट फर्मों ने मिलकर 2023 में भारत की 70 प्रतिशत AI और डाटा से जुड़ी नियुक्तियों में योगदान दिया, जिसमें अकेले GCC का हिस्सा 22.5 प्रतिशत रहा।
शहर
टियर-2 शहर बने नए टैलेंट हब
AI और डाटा स्किल्स की मांग अब बड़े शहरों से निकलकर टियर-2 शहरों की ओर बढ़ गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल AI/ML हायरिंग का 14-16 प्रतिशत अब छोटे शहरों से हो रहा है। कोच्चि, कोयंबटूर और अहमदाबाद जैसे शहर नई भर्ती के केंद्र बन गए हैं।
इनमें से 70 प्रतिशत टियर-2 भर्ती इन्हीं शहरों से हो रही है। इससे देश में AI प्रतिभा का भूगोल बदलता दिख रहा और कंपनियां नई जगहों पर निवेश कर रही हैं।