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प्रदूषण रोकने के लिए देश में 20% इथेनॉल वाले ईँधन के इस्तेमाल पर हो रहा विचार

प्रदूषण रोकने के लिए देश में 20% इथेनॉल वाले ईँधन के इस्तेमाल पर हो रहा विचार

Dec 21, 2020
10:30 pm

क्या है खबर?

भारत सरकार ने वाहनों में E20 ईंधन का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है। E20 ईंधन में गैसोलीन (पेट्रोल) के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिली होती है। इसे भारत में मौजूद ईंधन ऑप्शन्स में शामिल किया जा सकता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इससे संबंधित एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी की है ताकि E20 ईंधन को भारत में ईंधन के रुप में उपयोग करने के प्रस्ताव पर लोगों की प्रतिक्रिया मिल सके।

कारण

क्यों होना चाहिए E20 ईंधन का उपयोग?

सरकार ने कई कारणों से देश में इस ईंधन का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा है। इसके साथ ही सरकार E20 ईंधन वाले वाहनों का विकास भी करना चाहती है। सरकार के अनुसार वाहनों में अन्य ईंधनों की जगह E20 ईंधन का उपयोग होने से न सिर्फ वाहनों के उत्सर्जन पर रोक लगेगी बल्कि इससे देश में तेल आयात के ऊपर हो रहे खर्चे को भी कम किया जा सकेगा। इसके उपयोग से प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकती है।

जानकारी

अभी केवल 10 प्रतिशत इथेनॉल वाले ईंधन के उपयोग की है अनुमति

वर्तमान में भारत में केवल 10% इथेनॉल वाले ईंधन की अनुमति है। मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि E20 कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन आदि के उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा। इसके साथ ही यह देश के तेल आयात बिल को कम करने में भी मदद करेगा। इतना ही नहीं मंत्रालय ने यह भी कहा कि वाहन निर्माता अपने वाहनों के लिए ईँधन के मिश्रण में कितना इथेनॉल होना चाहिए, यह भी बताएगा।

इथेनॉल

कहां से आता है इथेनॉल?

जानकारी के लिए बता दें कि इथेनॉल मकई, भांग और आलू आदि से मिलता है। इसका उपयोग फ्लेक्सिबल फ्यूल व्हीकल्स (जिन में पेट्रोल और गैसोलीन से बने ईँधन का उपयोग किया जा सकता है) में जैव (कार्बनिक) ईंधन के रूप में किया जा सकता है। इथेनॉल जलने पर कम कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ती है। यही कारण है कि यह अन्य ईँधनों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाती है। इसलिए सरकार E20 ईंधन का इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है।

नुकसान

इथेनॉल से माइलेज पर पड़ता है असर

इथेनॉल में गैसोलीन और डीजल की तुलना में ऊर्जा कम होती है। इस कारण एक ईंधन के रुप में अधिक ऊर्जा देने के मामले में यह कम सक्षम है। जलने पर यह कम पावर देता है। कम पावर मिलने से इंजन अधिक ईंधन की खपत करता है और इससे वाहन के माइलेज पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए कहीं न कहीं यह कह सकते हैं कि माइलेज के लिहाज से यह अन्य ईंधनों की तुलना में अच्छा ऑप्शन नहीं हैं।