रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे पर क्यों रहेंगी अमेरिका की नजरें, क्या नाराज होंगे ट्रंप?
क्या है खबर?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आ रहे हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये उनकी पहली भारत यात्रा है। इस दौरान रक्षा से लेकर व्यापार तक में अहम समझौतों की उम्मीद है। ये दौरा ऐसे वक्त हो रहा है, जब यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस-यूरोप में तनातनी बढ़ रही है और रूस से कच्चे तेल की खरीदी को लेकर अमेरिका-भारत के रिश्ते सहज नहीं हैं। आइए जानते हैं क्यों दौरे पर अमेरिका की नजर रहेंगी।
यूक्रेन
यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस-अमेरिका में तनातनी
पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिम और रूस में तनानती है। यात्रा से ठीक पहले युद्ध को लेकर अमेरिका-रूस की उच्च स्तरीय वार्ता विफल हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई प्रयासों के बावजूद शांति वार्ता में खास प्रगति नहीं हुई है। इससे ट्रंप नाराज बताए जाते हैं। हाल ही में पुतिन ने कहा था कि वे यूरोप से युद्ध को भी तैयार हैं।
तेल
रूस से तेल खरीदने पर भारत से नाराज है अमेरिका
यूक्रेन युद्ध के बाद भारत भारी मात्रा में रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। अमेरिका ने इसे रूसी युद्धमशीन को वित्तपोषित करने वाला कदम बताया है और भारत से नाराजगी जाहिर की है। यही वजह है अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ भी लगा रखा है। अगर पुतिन के दौरे के दौरान तेल या व्यापार को लेकर कुछ बातचीत होती है, तो अमेरिका का और नाराज होना तय है।
संबंध
भारत-अमेरिका में लंबी चर्चा के बावजूद व्यापार समझौता नहीं
भारत और अमेरिका के बीच लंबी चर्चा के बावजूद व्यापार समझौता अब तक नहीं हो पाया है। दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल ने एक-दूसरे के देशों की यात्रा कीं, कई बैठकें कीं, लेकिन अभी तक कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी। समझौता न होने के चलते ही भारत उन देशों में हैं, जिन पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगा हुआ है। पुतिन की यात्रा के दौरान भारत-रूस में व्यापार को लेकर कोई भी समझौता अमेरिका की नाराजगी बढ़ा सकता है।
विशेषज्ञ
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
ब्लूमबर्ग से यूरेशिया ग्रुप के दक्षिण एशिया प्रमुख प्रमित पाल चौधरी ने कहा, "ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ज्यादा अलगाववादी हो गया है। चीन के साथ उसके संबंध खराब बने हुए हैं। ऐसे में भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि रूस, जापान, UAE और यूरोपीय संघ के साथ उसके संबंध और गहरे हों।" अटलांटिक काउंसिल के माइकल कुगेलमैन ने कहा, "ये यात्रा भारत के लिए मास्को के साथ अपने संबंधों की मजबूती को पुनः स्थापित करने का अवसर है।"
रक्षा
दौरे के दौरान किन-किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
चैथम हाउस के मुताबिक, भारत-रूस संभवतः व्यापार संबंध बढ़ाने, श्रम गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर, असैन्य परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने और नए रक्षा सौदों की घोषणा कर सकते हैं। रूस से S-400 वायु रश्रा प्रणाली और सुखोई Su-57 विमान की खरीदी को लेकर भी बातचीत होगी। भारत S-400 की 5 और रेजिमेंट खरीदने के अलावा अधिक उन्नत संस्करण S-500 की खरीद का सौदा सकता है। असैन्य परमाणु ऊर्जा पर भी समझौता होने की संभावना है।