
#NewsBytesExplainer: ईरान का साथ क्यों नहीं दे रहे हैं हमास-हिज्बुल्लाह जैसे संगठन?
क्या है खबर?
इजरायल के साथ संघर्ष में ईरान वैश्विक स्तर पर अकेला दिखाई पड़ रहा है। चुनिंदा देशों को छोड़कर उसके साथ कोई नहीं है।
यहां तक कि ईरान के ही बनाए गए छद्म संगठन भी उसके साथ नजर नहीं आ रहे हैं, जिन्हें वह 'प्रतिरोध की धुरी' कहता है। इनमें हमास, हिज्बुल्लाह और हूती विद्रोही संगठन शामिल हैं। इन्होंने अब तक ईरान के समर्थन में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है।
आइए इसकी वजह जानते हैं।
हिज्बुल्लाह
हिज्बुल्लाह क्यों खुलकर सामने नहीं आ रहा?
लेबनान के हिज्बुल्लाह का ईरान हर तरह से सहयोग करता है, लेकिन संगठन ने अभी तक इजरायल के विरुद्ध कोई बड़ी जवाबी कार्रवाई नहीं की है।
दरअसल, 2023 से लगातार इजरायली हमलों से ये संगठन लगभग पूरी तरह टूट गया है। इजरायल ने इसके प्रमुख रहे हसन नसरल्लाह को भी मार गिराया है।
इसके अलावा सीरिया में बशर अल-असद का शासन खत्म होने के बाद इसकी सैन्य आपूर्ति और फंडिंग पर भी प्रभाव पड़ा है।
हमास
हमास की चुप्पी की क्या है वजह?
हमास मुख्य तौर पर फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में सक्रिय है। इजरायल के साथ 2 साल के युद्ध के बाद गाजा खंडहर में बदल चुका है और हमास के वरिष्ठ नेता इस्माइल हानियह और याह्या सिनवार मारे गए हैं। इजरायल ने सुरंग, कमांड सेंटर और रॉकेट भंडार समेत इसका पूरी जखीरा नष्ट कर दिया है।
यही वजह है कि हमास की जमीनी ताकत कम हो गई है। वो बस केवल ईरान के समर्थन में बयान दे रहा है।
हूती
हूती विद्रोही क्यों चुप हैं?
हालिया समय में यमन के हूती विद्रोही इजरायल के खिलाफ सबसे ज्यादा सक्रिय रहे हैं। उन्होंने इजरायल पर कई मिसाइलें दागीं और लाल सागर में कई इजरायली जहाजों को भी निशाना बनाया। इससे बड़े स्तर पर समुद्री यातायात प्रभावित हुआ।
हालांकि, बीते कुछ महीनों में अमेरिका ने हूतियों की मिसाइल बैटरियों को निशाना बनाया है। इससे ये संगठन भी कमजोर हो गया है और अब खुलकर सामने नहीं आ रहा है।
इराक
इराक के शिया संगठन क्या कर रहे हैं?
इराक में ईरान से जुड़े कई शिया सशस्त्र समूह सक्रिय हैं। ये लंबे समय से अमेरिकी ठिकानों पर मामूली हमला करते रहे हैं, लेकिन फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं।
इजरायली हमलों के खिलाफ इन समूहों ने केवल निंदा करने वाले बयान जारी किए हैं। इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-सुदानी ने भी इन समूहों से संघर्ष से दूर रहने का आग्रह किया है। सुदानी को उदारवादी नेता माना जाता है, जिनके ईरान अमेरिका दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं।
अरब देश
अरब देशों की कैसी प्रतिक्रिया है?
अरब देशों ने इजरायली हमलों की निंदा की है और इन्हें क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है, लेकिन ईरान को स्पष्ट सैन्य समर्थन पर कुछ नहीं कहा है।
17 जून को 21 अरब और मुस्लिम देशों ने एक साझा बयान जारी कर इजरायली हमलों की निंदा की।
इनमें तुर्की, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), पाकिस्तान, बहरीन, ब्रुनेई, चाड, गाम्बिया, अल्जीरिया, कोमोरोस, जिबूती, सऊदी अरब, सूडान, सोमालिया, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, लीबिया, मिस्र और मॉरिटानिया शामिल हैं।
चीन
चीन और रूस का क्या रुख है?
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ईरानी क्षेत्र पर इजरायल के हमलों की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है।उन्होंने दोनों पक्षों से कूटनीतिक समाधान तलाशने और क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है।
वहीं, रूस ने युद्धविराम के लिए मध्यस्थता की पेशकश की है। रूस ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका शामिल हुआ तो दुनिया परमाणु त्रासदी से केवल मिलीमीटर दूर होगी।