पाकिस्तान-अमेरिका में 6,000 करोड़ रुपये का रक्षा समझौता, आधुनिक होंगे पाकिस्तानी F-16 विमान
क्या है खबर?
अमेरिका ने पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान के लिए आधुनिक तकनीक और सेवाओं से जुड़े करीब 6,000 करोड़ रुपये के समझौते को मंजूरी दे दी है। इसमें 334 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण और लगभग 5,800 करोड़ रुपये की अन्य प्रणालियां शामिल हैं। पाकिस्तान के अखबार डॉन ने डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) के अमेरिकी संसद को लिखे पत्र के हवाले से ये जानकारी दी है। आइए पूरा समझौता समझते हैं।
समझौता
समझौते में क्या-क्या शामिल है?
डॉन के अनुसार, पैकेज में 92 लिंक-16 डाटा लिंक सिस्टम, 6 इनर्ट Mk-82 500 पाउंड जनरल-पर्पस बम, क्रिप्टोग्रेफिक इक्वीपमेंट (सीक्रेट कोड), एवियोनिक्स (विमान के इलेक्टॉनिक सिस्टम), पायलट ट्रेनिंग, नेविगेशन सिस्टम, सॉफ्टवेयर अपग्रेड, मिशन प्लानिंग टूल, मिसाइल एडैप्टर यूनिट्स, इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा मॉड्यूल और लॉजिस्टिक सपोर्ट शामिल हैं। इससे विमानों की उम्र 15 साल और बढ़ जाएगी। अमेरिका ने कहा कि ये समझौता पाकिस्तानी F-16 बेड़े को आधुनिक बनाने और अमेरिकी और साझेदार सेनाओं के साथ अनुकूलता सुनिश्चित करने में मदद करेंगे।
प्रणालियां
कितनी आधुनिक हैं ये प्रणालियां?
लिंक-16 एक एडवांस्ड कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन और इंटेलिजेंस सिस्टम है, जिसका इस्तेमाल अमेरिका और NATO देश करते हैं। यह एक सुरक्षित और जैम-प्रतिरोधी डिजिटल नेटवर्क है, जो वास्तविक समय में युद्धक्षेत्र की जानकारी साझा करने में काम आता है। वहीं, Mk-82 इनर्ट 500 पाउंड के बम हैं, जो बिना गाइड वाले और कम ड्रैग वाले प्रशिक्षण हथियार हैं। इनका इस्तेमाल विशेष रूप से इंटीग्रेशन और रिलीज परीक्षण के लिए किया जाता है।
पत्र
अमेरिका ने बताई समझौते को मंजूरी देने की वजह
अमेरिकी प्रशासन ने पत्र में लिखा, "ये समझौता पाकिस्तान को चल रहे आतंकवादी रोधी और भविष्य के आपातकालीन अभियानों की तैयारी में अमेरिका और सहयोगी सेनाओं के साथ समन्वय बनाए रखने की अनुमति देकर अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य को समर्थन देगा। ये अपडेट्स पाकिस्तानी और अमेरिकी वायुसेना के बीच युद्ध ऑपरेशन्स, एक्सरसाइज और प्रशिक्षण में बिना रुकावट के समन्वय बढ़ाएंगे। इससे विमानों का जीवनकाल 2040 तक बढ़ जाएगा।"
भारत
भारत के लिए क्या हैं चिंता की बात?
पाकिस्तान को लिंक-16 प्रणाली मिलने भारत के लिए चिंता की बात मानी जा रही है। इससे पाकिस्तान के पास लगभग NATO देशों के बराबर सूचना और कमांड शेयर करने की क्षमता विकसित होगी। भारत अब तक इस मामले में इजरायल और रूस की तकनीक इस्तेमाल करता रहा है। इस कदम को पाकिस्तान और अमेरिका की बढ़ती नजदीकी के तौर पर भी देखा जा रहा है। हालांकि, अमेरिका ने कहा कि इससे क्षेत्रीय सैन्य संतुलन पर कोई असर नहीं होगा।