पाकिस्तान में कागज की भारी कमी, छात्रों को नहीं मिल पाएंगी किताबें
आर्थिक संकट से घिरा पाकिस्तान इन दिनों कागज की कमी से भी जूझ रहा है। यहां के कागज संगठनों का कहना है कि इस संकट के चलते अगस्त से शुरू हो रहे अकादमिक सत्र में छात्रों को किताबें नहीं मिल पाएंगी। लगातार बढ़ती महंगाई, आर्थिक संकट, आयात किए गए कागज पर भारी कर और स्थानीय कागज उद्योग के एकाधिकार को इस कमी के पीछे की वजह बताया जा रहा है। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
कैसे हुई कागज की कमी?
पाकिस्तान में प्रिंटिंग और पैकेजिंग से जुड़ी करीब 18,000 कंपनियां हैं। सरकारी नीतियों के चलते इन कंपनियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किताब प्रकाशकों ने चेतावनी दी है कि अगर देश में बनने वाले कागज के दाम तय नहीं किए जाते हैं कि इस साल छात्रों के लिए किताबों की भारी कमी हो जाएगी। इसके अलावा घरेलू कंपनियां मांग के अनुपात में कागज का उत्पादन भी नहीं कर पा रही हैं।
कमी के कारण आसमान छू रहे कागज के दाम
न्यूज18 के अनुसार, पाकिस्तान के बड़े अर्थशास्त्री डॉ कैसर बंगाली ने कहा कि कागज की कमी के चलते इनके दाम आसमान छू रहे हैं। यह अभी बहुत महंगा बिक रहा है। उन्होंने कहा कि घरेलू कंपनियां लगातार कागज के दाम बढ़ा रही हैं और पिछले कुछ समय में कीमतें 200 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। वहीं गुणवत्ता के मामले में ये आयातित कागज के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता। उन्होंने सरकार से दाम तय करने की मांग की है।
हर हफ्ते बढ़ रहे दाम
पब्लिशर्स एंड बुकसेलर एसोसिशएन के प्रमुख अजीज खालिद ने कहा कि जनवरी के बाद से घरेलू कागज के दाम 100 रुपये प्रति किलो बढ़ गए हैं। हर हफ्ते कीमतों में पांच से आठ रुपये का इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस काबू में करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इससे पब्लिशिंग और प्रिंटिंग कंपनियां भारी नुकसान झेल रही हैं। प्रकाशकों के पास कागज की भारी कमी चल रही है।
बुरी तरह प्रभावित होंगे छात्र
पाकिस्तान में कागज की कमी ऐसे समय हुई है, जब यहां के स्कूल और कॉलेज अगस्त से नए सत्र की तैयारियों में जुटे हैं। प्रकाशकों का कहना है कि कागज की कमी के चलते सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के स्कूल बोर्ड नहीं किताबें नहीं छाप सकेंगे, जिस कारण लाखों छात्रों को वंचित रहना पड़ सकता है। वहीं कुछ स्कूल और कॉलेज छात्रों के परिजनों पर दबाव बनाकर उन्हें महंगे दामों में किताबें खरीदने पर विवश कर सकते हैं।
गहरे आर्थिक संकट में फंसा है पाकिस्तान
पाकिस्तान पिछले काफी समय से गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है और फिलहाल उसके इससे बाहर निकलने की उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है। इसी महीने आयात का बिल कम करने के लिए सरकार ने लोगों से कम चाय पीने की अपील की थी। पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री अहसान इकबाल ने कहा था कि पाकिस्तानी चाय की खपत को एक या दो कप कम कर सकते हैं क्योंकि चाय के आयात से आर्थिक भार बढ़ रहा है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
बता दें कि पाकिस्तान पिछले काफी समय से आर्थिक संकट से गुजर रहा है और यहां महंगाई चरम सीमा पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ यहां विदेशी मुद्रा भंडार भी लगातार कम होता जा रहा है। फरवरी में केंद्रीय बैंक के पास 16.3 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा थी, जो मई में कम होकर 10 बिलियन हो गई है। आर्थिक संकट के चलते पिछले महीने पाकिस्तान ने गैर जरूरी और लग्जरी उत्पादों का आयात बंद कर दिया था।