
नेपाल: सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा, युवाओं के प्रदर्शन में 19 मौत के बाद सरकार पलटी
क्या है खबर?
नेपाल में सोमवार को बड़े पैमाने पर Gen-Z प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध से अपने कदम वापस खींच लिए हैं। सरकार ने सोमवार को देर रात तक चली मंत्रिमंडल की बैठक के बाद घोषणा की कि उसने 26 सोशल मीडिया ऐप पर प्रतिबंध लगाने का फैसला वापस ले लिया है। संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा कि सरकार इस विषय में फिलहाल अभी कोई निर्णय नहीं लेगी।
इस्तीफा
सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद नेपाल में हुए हिंसक प्रदर्शन में 20 की मौत
नेपाल में फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे 26 सोशल मीडिया ऐप पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का पहले ऑनलाइन विरोध शुरू हुआ था, लेकिन सोमवार को यह सड़क पर दिखने लगा। 12,000 से अधिक संख्या में स्कूली छात्र और Gen-Z पीढ़ी (1997 से लेकर 2012 की पैदाइश) ने संसद भवन परिसर का घेराव किया। उनकी पुलिस से झड़प भी हुई, जिसके बाद चली गोली में 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और करीब 300 घायल हुए हैं।
इस्तीफा
गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा
देशभर में हो रहे भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री ओली ने शाम को कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी। इस दौरान गृह मंत्री रमेश लेखक ने प्रदर्शन में हुई मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि सोमवार के विरोध प्रदर्शन में अकल्पनीय जनहानि हुई है। इससे पहले नेपाली कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में महासचिव गगन थापा और विश्व प्रकाश शर्मा ने उनसे इस्तीफा मांगा था।
प्रतिबंध
सरकार ने क्यों लगाया था सोशल मीडिया पर प्रतिबंध?
ओली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वाट्सऐप, रेडिट, स्नैपचैट और एक्स समेत 26 सोशल मीडिया ऐप्स प्रतिबंधित कर दिए थे। सरकार ने कंपनियों से नेपाल में अपना कार्यालय खोलने, पंजीकरण कराने और गड़बड़ी रोकने के लिए सिस्टम बनाने की शर्त रखी है। कंपनियों के इंकार के बाद सरकार ने प्रतिबंध का कदम उठाया। हालांकि, अभी सिर्फ टिकटॉक, वाइबर, निम्बज, विटक और पोपो लाइव जैसे कुछ चीनी ऐप का पंजीकरण हुआ है।