
नेपाल विरोध प्रदर्शन: गृह मंत्री रमेश लेखक ने दिया इस्तीफा, अब तक 20 की मौत
क्या है खबर?
नेपाल में सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद सड़कों पर उतरी Gen-Z यानी 18-30 साल की युवा आबादी का उग्र विरोध प्रदर्शन जारी है। अब तक 20 युवाओं की मौत हो चुकी है और 250 से अधिक घायल हैं। इस बीच गृह मंत्री रमेश लेखक ने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया है। नेपाल की कैबिनेट ने भी उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।
फैसला
गृह मंत्री लेखक ने कैबिनेट की बैठक में दिया इस्तीफा
देशभर में हो रहे भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा ने शाम को कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी। इसमें गृह मंत्री ने कांग्रेस पदाधिकारियों को सूचित किया है कि मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार के विरोध प्रदर्शन में अकल्पनीय जनहानि हुई है। इससे पहले नेपाली कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक में महासचिव गगन थापा और विश्व प्रकाश शर्मा ने उनसे इस्तीफा मांगा था।
सख्ती
सरकार ने 7 शहरों में लगाया कर्फ्यू, परीक्षाएं भी स्थगित की
सरकार ने देश में लगातार बिगड़ते हालातों को देखते हुए 7 प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लागू कर दिया है। इन शहरों में काठमांडू, बीरगंज, भैरहवा, बुटवल, पोखरा, इटहरी और दमक शामिल हैं। इसके अलावा सरकार ने सेना और पुलिस की तैनाती भी बढ़ा दी है। इसी तरह 9, 10 और 11 सितंबर के लिए होने वाली सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है। कई शहरों में अगले 2 दिनों के लिए स्कूल भी बंद करने का फैसला लिया गया है।
दुख
नेपाल में संयुक्त राष्ट्र के समन्वयक ने जताया दुख
नेपाल में संयुक्त राष्ट्र (UN) के रेजिडेंट समन्वयक हाना सिंगर हम्दी ने विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई मौतों पर दुख जताया है। उन्होंने कहा, "आज नेपाल में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए जान-माल के नुकसान की खबरों से बेहद दुखी हूं। प्रभावित परिवारों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं। मैं सभी पक्षों से अपील करती हूं कि वे अधिकतम संयम और सावधानी बरतें ताकि नागरिक अपने लोकतांत्रिक अधिकार सुरक्षित और शांति से निभा सकें।"
मांग
मानवाधिकार आयोग ने की मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग
नेपाल के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सरकार और पुलिस से विरोध संभालने में संयम बरतने की अपील की है। आयोग ने कहा कि नेपाल का संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार देते हैं। प्रदर्शन में हिंसा करना और सुरक्षाकर्मियों का ज्यादा ताकत का इस्तेमाल बेहद अफसोसजनक है। सरकार स्थिति से निपटने के लिए मजबूत सुरक्षा कदम उठाएं और मरने वालों के परिवारों को मदद और मुआवजा दें। इसी तरह घायलों का मुफ्त इलाज कराएं।
बयान
प्रधानमंत्री ओली ने विरोध प्रदर्शन को बताया लोकतंत्र पर हमला
प्रधानमंत्री ओली ने कैबिनेट की बैठक के दौरान कहा कि ये विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र पर हमला है। सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कानूनों का पालन करने के लिए कहा गया है। इस दौरान बैठक में देश हमें हुई हिंसक घटनाओं की जांच के लिए एक समिति का भी गठन किया गया। समिति को पूरे प्रकरण की जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। राजधानी काठमांडू में प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं।
इनकार
प्रधानमंत्री ओली ने किया प्रतिबंध हटाने से इनकार
प्रधानमंत्री ओली ने सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने से भी साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का फैसला सही है और सभी मंत्रियों को इसे सार्वजनिक रूप से समर्थन देना चाहिए। इससे कैबिनेट में तनाव बढ़ गया। सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल नेपाली कांग्रेस के मंत्रियों ने प्रतिबंध हटाने की मांग की। जवाब में ओली ने कहा कि सरकार उपद्रवियों के आगे नहीं झुकेगी। इसके बाद कांग्रेस के मंत्रियों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया।
विरोध
सरकार के फैसले के विरोध में सड़कों पर उतरे युवा
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सोमवार को युवाओं ने देश के विभिन्न शहरों में विरोध मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। इस दौरान राजधानी काठामांडू में भी हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़कर संसद भवन परिसर में घुसने का प्रयास किया। जवाब में सेना और पुलिस आंसू गैस के गोले दागे, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और गोली भी चलाई। इसमें 20 युवाओं की मौत हो गई और 250 से अधिक घायल हैं।
प्रतिबंध
सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाया था प्रतिबंध
दरअसल, नेपाल की केपी ओली सरकार ने गत 4 सितंबर को सूचना और संचार मंत्रालय में पंजीयन न कराने को लेकर 26 सोशल मीडिया और कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। इनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, एक्स (पहले ट्विटर), यूट्यूब, स्नैपचैट, लिंक्डइन, रेडिट, वाइबर और बॉटिम जैसे प्रमुख ऐप्स शामिल थे। हालांकि, नियामक शर्तें पूरी करने और पंजीयन कराने को लेकर टिक-टॉक सहित कुछ चीनी ऐप्स को संचालन करने की अनुमति दी गई थी।
कारण
सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया प्रतिबंध?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गत दिनों सोशल मीडिया कंपनियों के बिना लाइसेंस विज्ञापन और सामग्री प्रसारण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को देश में उनके संचालन के लिए कानूनी अनुमति लेने और पंजीयन कराने के आदेश दिए थे। इस पर सरकार ने सभी सोशल मीडिया कंपिनयों को 7 दिन में अनुमति लेने और पंजीयन कराने का आदेश दिया था, लेकिन अधिकतर कंपनियों ने कोई भी कदम नहीं उठाया। ऐसे में सरकार ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया।