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अमेरिका ने जिन परमाणु ठिकानों पर हमला किया, वहां क्या बनाता है ईरान?
ईरान का फोर्दो परमाणु संयंत्र

अमेरिका ने जिन परमाणु ठिकानों पर हमला किया, वहां क्या बनाता है ईरान?

लेखन आबिद खान
Jun 22, 2025
10:02 am

क्या है खबर?

ईरान और इजरायल के बीच युद्ध में अमेरिका की एंट्री हो गई है। अमेरिका ने आज सुबह ईरान में 3 परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमलों से ये सुविधाओं पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। वहीं, ईरान का कहना है कि मामूली नुकसान पहुंचा है। इनमें नतांज, इस्फहान और सबसे अहम फोर्दो परमाणु सुविधा शामिल है। आइए जानते हैं कि ये सुविधाएं कितनी अहम हैं।

फोर्दो

ईरान का सबसे गुप्त परमाणु प्लांट है फोर्दो 

फोर्दो प्लांट ईरान के कोम शहर के नजदीक है। यहां जमीन से 80 से लेकर 300 फीट गहराई में ईरान ने परमाणु लेबोरेटरी स्थापित कर रखी है। फोर्दो में करीब 2,000 सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं। इनमें से कई उन्नत IR-6 मशीनें हैं, जो यूरेनियम को 60 प्रतिशत तक संवर्धित कर सकती हैं। ईरान के परमाणु उर्जा संगठन के पास इसका नियंत्रण है। माना जाता है कि 2018 में ईरान ने इसे दोबारा सक्रिय किया था।

सुरक्षा

कितना सुरक्षित है फोर्दो प्लांट?

फोर्दो को सबसे ज्यादा सुरक्षा उसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से मिलती है। ये पहाड़ों के बीच प्राकृतिक तरीके से सुरक्षित है, जो इसे किसी भी तरह के हवाई और पारंपरिक बमबारी से लगभग अभेद्य बनाता है। यही वजह है कि इजरायल ने अब तक इस प्लांट पर हमला नहीं किया था। अमेरिका ने खास मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर बम (MOPB) बमों के जरिए यहां हमल किया है। इन्हें 'बंकर बस्टर बम' भी कहा जाता है।

नतांज

नतांज में क्या बनाता है ईरान?

नतांज तेहरान से करीब 250 किलोमीटर दूर दक्षिण में मौजूद है। कहा जाता है कि यहां 9 परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम मौजूद है। यही वजह है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इसे सबसे बड़ा परमाणु खतरा बता चुके हैं। नतांज में आधुनिक सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं, जो यूरेनियम-235 को शुद्ध करने का काम करती है। इजरायल यहां पहले भी हमले कर चुका है। अब अमेरिका ने टॉमहॉक मिसाइलों से यहां हमला किया है।

इस्फहान

ईरान का सबसे बड़ा परमाणु अनुसंधान केंद्र है इस्फहान

तेहरान से लगभग 350 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित इस्फहान में 3,000 से अधिक परमाणु वैज्ञानिक काम करते हैं। इसे 1984 में चीन की सहायता से स्थापित किया गया था। ये ईरान का सबसे बड़ा परमाणु अनुसंधान केंद्र है। यहां एक यूरेनियम रूपांतरण सुविधा और एक परमाणु ईंधन निर्माण संयंत्र है। चीन भी यहां कुछ रिएक्टरों का संचालन करता है। यहां कच्चे यूरेनियम को गैस में बदला जाता है। इजरायल ने इस्फहान पर पहले भी हमला किया था।