कनाडा: भगवत गीता पार्क में नफरती अपराध का आरोप, प्रशासन ने किया इनकार
कनाडा में भारतीयों के खिलाफ नफरती अपराध का एक और कथित मामला सामने आया है। इस बार ब्रैम्पटन स्थित श्री भगवत गीता पार्क में भगवत गीता के नाम वाले साइन बोर्ड के साथ तोड़फोड़ का आरोप लगा है। भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट कर घटना की निंदा की है, वहीं कनाडाई प्रशासन ने पार्क में कोई भी नफरती अपराध होने से इनकार किया है। जांच के बाद प्रशासन की ओर से ये बात कही गई है।
28 सितंबर को ही भगवत गीता पर रखा गया था पार्क का नाम
बता दें कि पहले इस पार्क का नाम ट्रॉयर्स पार्क हुआ करता था और 28 सितंबर को ही इसका नाम बदलकर कर भगवत गीता पर रखा गया था। ओटावा स्थित भारतीय उच्चायोग ने घटना पर ट्वीट करते हुए कहा, 'हम ब्रैम्पटन में श्री भगवत गीता पार्क में हुए नफरती अपराध की निंदा करते हैं। हम कनाडाई प्रशासन और पील पुलिस से मामले की जांच करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं।'
मेयर और पुलिस ने कहा- साइन बोर्ड को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया
घटना की जानकारी मिलने पर मेयर पैट्रिक ब्राउन ने पुलिस को जांच का निर्देश दिया। जांच के बाद उन्होंने साइन बोर्ड को नुकसान पहुंचाए जाने के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि लगाते समय साइन बोर्ड खराब हो गया था और एक कर्मचारी अनियोजित रखरखाव और रिप्रिंट के लिए इसे वापस ले आया था। वहीं पील रीजनल पुलिस ने कहा कि परमानेंट साइन बोर्ड को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है और अभी इसे लगाया ही नहीं गया है।
कनाडा में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर चुकी है भारत सरकार
गौरतलब है कि ये घटना ऐसे समय पर हुई है जब लगभग 10 दिन पहले ही भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए कनाडा में रह रहे अपने नागरिकों और छात्रों को सावधान और सतर्क रहने को कहा था। कनाडा में नफरती अपराधों और भारत विरोधी गतिविधियों में वृद्धि को मद्देनजर रखते हुए ये एडवाइजरी जारी की गई थी। सरकार ने कनाडा जा रहे भारतीयों को भी सावधान और सतर्क रहने को कहा था।
कनाडा में रहते हैं 16 लाख भारतीय और NRI
बता दें कि कनाडा में गैर-निवासी भारतीय (NRI) और भारतीय मूल के 16 लाख लोग रहते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में छात्र भी शामिल हैं। इस साल देश में कम से कम दो हिंदू मंदिरों पर हमले हो चुके हैं जो खालिस्तानियों ने किए थे।
कनाडा में बेहद सक्रिय रहते हैं खालिस्तानी तत्व
बता दें कि सिखों के लिए अलग देश 'खालिस्तान' की मांग करने वाले खालिस्तानी कनाडा में बेहद सक्रिय हैं और यहां समय-समय पर खालिस्तान समर्थक घटनाएं देखने को मिलती रहती हैं। भारत में आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका खालिस्तानी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' (SFJ) भी कनाडा में सक्रिय है। भारत सरकार ने कनाडा से उसे आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की है। जस्टिन ट्रुडो की सरकार पर खालिस्तानियों के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप भी लगता है।
कनाडा में खालिस्तान पर जनमत संग्रह कर चुके हैं खालिस्तानी तत्व
खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने 19 सितंबर को कनाडा में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह भी किया था। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा कि यह कट्टरपंथी और चरणपंथी संगठनों द्वारा किया जा रहा एक हास्यास्पद कार्य है। भारत के अनुसार, ये बेहद ही आपत्तिजनक है कि खालिस्तान पर जनमत संग्रह भारत के एक मित्र देश में किया गया। कनाडाई सरकार ने कहा था कि वह ऐसे किसी भी जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देती है।